Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

बालिका मेधा 1.07

बालिका मेधा 1.07

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पूर्वी ने बताया - उसने झपट कर मेरे दोनों गालों पर किस कर लिया। कोई देख ना ले इस चिंता में मैंने अपने को उससे छुड़ा तो लिया मगर मैं जाने किस सम्मोहन (Hypnotism) के वशीभूत जड़वत (Spellbound) वहीं उसके सामने ही खड़ी रह गई। उसने, मुझसे अगले दिन मॉल में साथ आइसक्रीम खाने आने के लिए कहा। मैं जैसे किसी मंत्र के प्रभाव में उसके वश में हो गई थी। कल मैं तुमसे मिलने का बहाना बना कर घर से निकली थी। फिर मैंने उसके साथ मॉल जाकर डोसा एवं आइसक्रीम खाई थी। उसने वहीं मॉल से खरीद कर मुझे टू पीस अंडर गारमेंट्स का एक सुंदर सेट भी गिफ्ट कर दिया था। 

मैंने उसकी बात पूरी होने के पूर्व ही कहा - पूर्वी तुमने उससे यह लेकर अच्छा नहीं किया है। 

पूर्वी ने कहा - दिमाग तो मेरा भी इसे अच्छी बात नहीं बता रहा था तो भी उसके प्यार में सम्मोहित हुई, मैं उसे मना नहीं कर पाई हूँ। अब विचार मुझे मर्यादा (Dignity) का आ रहा है। आज मैं मर्यादा और प्यार के दो विपरीत विचारों के बीच बड़े धर्म संकट में हूँ। 

मैंने फिर पूछा - फिर तुम किस बात को निभाना चाहती हो?

पूर्वी ने बताया - मिलिंद बाहर का रहने वाला है। वह यहाँ अपने मामा के घर आया हुआ था। वह कल सुबह वापस जाने वाला है। इसलिए जाने के पूर्व आखिरी बार मिलने के लिए, आज शाम उसने मुझे पार्क में बुलाया है। उस पार्क में मिलने जाने वाले लोग अच्छे नहीं होते हैं, यह मुझे पता है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करुं? अगर मुझसे बिना मिले वह चला गया तो मुझे बहुत दुःख होगा। 

मैंने कहा - पूर्वी तुम्हें उससे मिलने नहीं जाना चाहिए। वैसे भी वह कल जा रहा है। कल के बाद तुम्हारा मिलना हो नहीं पाएगा। तुम यह समझ लो कि वह आज ही जा चुका है। 

पूर्वी ने कहा - मेधा मैंने उससे, डोसा-आइसक्रीम खाया है। उससे गिफ्ट भी लिया है। फिर उसके बुलाने पर मैं जाऊं भी नहीं तो उसके साथ यह करना मेरा धोखा होगा। 

पूर्वी की बात से मुझे क्रोध आ गया - इनके बदले में तुम उसके लिए क्या करना चाहती हो? वैसे भी वह बेशर्मी से तुम्हें किस तो कर ही चुका है। 

पूर्वी ने कहा - मेधा तुम्हें पता नहीं है, प्यार क्या होता है। उसका किस करना मुझे अच्छा ही लगा था। 

मैंने कहा - प्यार क्या होता है, यह मैं अभी जानना भी नहीं चाहती। बस तुम इतना समझ लो कि आज शाम यदि तुम उस लड़के से मिलने गई तो कल से मुझसे ना मिला करना। अपने घर वालों को अँधेरे में रखकर (Without asking), किसी लड़के के चक्कर में पड़ने वाली ऐसी किसी लड़की की फ्रेंड, मैं कदापि नहीं (Never) हो सकती समझी, तुम?

फिर मैंने और कोई बात नहीं की थी। मैं गुस्से में अपने घर आ गई थी। मैं सोच रही थी काश! मेरी मम्मी ऑफिस गई हुई ना होती तो मैं पूर्वी की बात उन्हें बता कर, इस समस्या का कोई हल निकालने कहती। 

5 बजे शाम को घर में मैं अकेली ही थी। तब डोर बेल बजी थी। कौन आया होगा सोचते हुए, मैंने डोर सेफ्टी चैन लगाकर दरवाजा खोला तो सामने पूर्वी थी। 

मैंने उसे अंदर आने दिया था। वह उदास थी। उसने कहा - 

मेधा मैं तुम्हारी फ्रेंडशिप बिना रह नहीं पाऊंगी। अभी यह समय मिलिंद से मेरा पार्क में मिलने का हो रहा है। मैं वहाँ नहीं जाकर अभी तुम्हारे पास आ गई हूँ। यह करते हुए मुझे मिलिंद को लेकर बहुत दुःख भी हो रहा है और बुरा भी लग रहा है। 

मैं खुश हुई थी। मैंने कहा - पूर्वी यह बिलकुल भी बुरा नहीं है, बहुत बुरा तब होता जब तुम उससे मिलने पार्क चली जातीं। 

पूर्वी मेरी गोद में सिर रख कर बहुत देर तक रोती रही थी। फिर जब वह रो लेने के बाद हल्की हो गई तो हम बोर्ड गेम खेलते रहे थे। 6.30 बजे मेरी मम्मी ऑफिस से आ गई थीं। पूर्वी उस लड़के को लेकर डर रही थी तब करीब 7 बजे उसके कहने पर मैं उसके घर तक छोड़ने गई थी। 

वहाँ जाते हुए तो वह लड़का मुझे दिखाई नहीं दिया था। मगर साढ़े सात बजे जब मैं पूर्वी के घर से लौट रही थी तब वह, पूर्वी के घर के सामने अँधेरे में खड़ा दिखाई दिया था। उसे मैंने देख लिया है, इस बात से अनभिज्ञता (Ignorance) दिखाते हुए मैं तेज कदमों से अपने घर लौट आई थी। 

उस रात पूर्वी की सब बातें मुझे परेशान कर रहीं थीं। दो दिन बाद मम्मी का अवकाश है। उस लड़के पर उनके समझाने का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, मैंने यह दुखद सच्चाई मम्मी को उस दिन बताने का तय कर लिया था। 

अगले दो दिन में मेरी ना तो पूर्वी से फोन पर बात हुई थी और ना ही उससे भेंट हुई थी। इस कारण मुझे पता नहीं चल पाया था कि उस रात कुछ अनचाही बात तो नहीं हुई थी। मम्मी के अवकाश वाले दिन पापा जब किसी काम से बाजार गए हुए थे तब मैंने, पूर्वी के साथ हुई सारी बातें मम्मी को बताई थी। मम्मी सुनकर व्यथित हुई थी। तब मैंने कहा - 

मम्मी, उस लड़के को आपके द्वारा समझाए जाने का प्रयास व्यर्थ गया है। जैसा आप सोच रही थीं कि वह लड़कियों का पीछा करना छोड़ सकता है, वैसा कुछ हुआ नहीं दिख रहा है। 

मम्मी ने विचार करते हुए कहा - 

मेधा, मिलिंद मेरी आशा से अधिक पथभ्रष्ट हुआ लड़का है। तब मैं सोच रही थी कि वह सिर्फ तुम पर आकर्षित है मगर ऐसा नहीं था। वह पूर्वी और तुम्हारे पर अलग अलग कोशिश कर रहा था। जिस समय मैंने, उसे लेकर तुम्हारी उदासीनता बताई थी तब तक पूर्वी को लेकर उसकी कोशिश सफल होने लगी थी। इससे उसने अपना पूरा ध्यान पूर्वी पर फोकस कर लिया था। चूंकि यह सिलसिला मेरे कहने के पहले ही चल निकला था अतः हमारे प्रयास को आधी सफलता ही मिल पाई। उसने तुम्हारा पीछा छोड़ा मगर वह पूर्वी के पीछे लगकर अपने बुरे मंतव्य को सिद्ध करने में लगा रहा था। 

मैंने पूछ लिया - मम्मा, अब समस्या से निजात पाने का उपाय क्या है?


(क्रमशः) 


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