बाल विवाह एक अभिक्षाप
बाल विवाह एक अभिक्षाप


सम्बलपुर गाँव में राधिका नाम की होशियार, बहादुर एक ग़रीब लड़की रहती थी। उसके माता-पिता ग़रीब किसान थे। वह आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। वह सभी अध्यापकों की चहेती थी। उसके कक्षाध्यापक राहुल शर्मा थे। वो राधिका का हमेशा उत्साहवर्धन करते थे। एक बार राधिका लगातार 7 दिन तक स्कूल नहीं आई। इससे उसके कक्षाध्यापक राहुल शर्मा को बड़ी चिंता हुई। वो राधिका के घर पर उसके स्कूल न आने की वजह पूछने के लिये पहुंचे। पर उन्हें राधिका से मिलने नहीं दिया गया। उनको कहा गया, राधिका अपने ननिहाल गई हुई है। उनको दाल में कुछ काला लगा क्योंकि राधिका, कहीं जाती तो उन्हें जरूर कहती थी। राहुल शर्मा ने राधिका की कक्षा में ही पढ़नेवाली राधिका की पड़ोसी मोहिनी को बुलाया और उसे कहा वो राधिका के घर जाकर राधिका की खोज ख़बर करे।
मोहिनी ने कहा, जी गुरुजी। मोहिनी राधिका के घर पर गई, उस समय राधिका के पापा घर पर नहीं थे। राधिका ने रोते हुए मोहिनी को एक चिट्ठी दी और कहा,ये चिट्ठी राहुल जी गुरूजी को दे देना। मोहिनी अगले दिन स्कूल गई। मोहिनी ने राधिका वाली चिट्ठी, राहुल जी सर को दी और कहा सर वो बहुत रो रही थी। बाकी सर ये चिट्ठी पढ़े उसने अपनी सारी आपबीती लिख रखी है। गुरूजी ने मोहिनी को कहा, अच्छा तुम जाओ। गुरूजी ने चिट्ठी खोलकर पढ़ना शुरू किया, उसमे लिखा था, प्लीज़ गुरूजी मेरी जिंदगी को बर्बाद होने से बचा लीजिए। मेरे माता पिता मेरी छोटी उम्र में ही शादी करना चाहते है, जबकि में गुरूजी पढ़ना चाहती हूं, आगे बढ़ना चाहती हूं। बड़ी होकर आप जैसे एक अच्छी शिक्षिका बनना चाहती हूं। मैंने अपने माता-पिता को समझाने का भरसक प्रयास किया, पर वो नहीं माने। वो कहते है, तू तो पराया धन है, तेरी शाद
ी हो जाये, हम तो फ्री हो जाये। गुरूजी को सारी बात समझ आ गई। वो थाने गये, थानेदार से मिले और उनको सारी बात बताई। थानेदार साहब, गुरूजी को साथ लेकर राधिका के घर पर पहुंचे। राधिका के पापा व अन्य रिश्तेदार थानेदार साहब को वहां देखकर हक्के-बक्के रह गये। थानेदार साहब ने राधिका के पापा को खूब डांटा व बाल विवाह न करने के लिये पाबंद किया, साथ ही उसे आगे पढ़ाने के लिये कहा। राधिका के पापा बोले, साब, मेरी बेटी को 8वी से आगे पढ़ाने की मेरी हैसियत नहीं है। तभी राधिका के गुरूजी राहुल शर्मा बोले, ये मेरी भी बेटी है, इसकी आगे की पढ़ाई का ख़र्चा में उठाऊंगा। आगे जाकर राधिका ने 12वी कक्षा बाद, bstc कर ली। एक ही बार के प्रयास में उसने rpsc की शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर ली। मात्र 21 साल को उम्र में वो शिक्षिका बन गई। सर्वप्रथम वो अपने गुरूजी राहुल जी शर्मा के पास गई। राधिका उनके चरण स्पर्श कर रोते हुए बोली गुरूजी आप न होते तो में कभी शिक्षिका नही बन पाती। उसे देख गुरूजी भी रोने लगे,वो बोले बेटी ये सब तेरी मेहनत का नतीजा है। ख़ास सब लोग इसको समझ पाते, लोग अपनी लड़कियों का बाल विवाह नहीं करते तो वो लड़कियाँ भी तेरे जैसे शिक्षिका बन जाती। वैसे भी कहते है,एक बेटी पढ़े तो सात पीढ़ी तरे। बाल विवाह तो एक अभिक्षाप है, जो इस बात को समझ जाता है, खुद के साथ-साथ उसका परिवार भी सँवर जाता है। बाल विवाह करने से बच्चे की पढ़ाई छूट जाती है। बचपन में शादी होने से वो कम उम्र में हो माता-पिता बन जाते है। इससे उनका स्वास्थ्य सही नही रहता है। कम उम्र में शादी होने उनका शारीरिक,मानसिक व सामाजिक विकास पूरा नही हो पाता है। वैसे भी क़ानूनन शादी की उम्र लड़की की 18 व लड़के की 21 साल है।