बाहुबली
बाहुबली
दो पुलिस के सिपाही अपनी लाठियां यूं ही जमीन पर ठक ठकाते हुए पैदल चले जा रहे थे।
एक युवक बुलेट मोटर साइकिल पर सवार पीछे से आया और एक सिपाही के सर से उसकी टोपी झपट कर उसे हवा में लहराता हुआ आगे बढ़ गया। दोनों सिपाही भौंचक्के से वही खड़े रह गये। वह युवक थोड़ी दूर आगे जाकर के मुड़ कर वापस आया और हँसते हुए टोपी लौटा दी।
सिपाही खिसियाहट भरी हंसी हंसा और युवक से बोला, “आप भी क्या राजन भाई? वर्दी से तो मज़ाक न किया करो।”
“ वर्दी वाले को भी तो सतर्क होना चाहिये गुरु।” वह युवक राजन ये कहकर हँसता हुआ आगे बढ़ गया।
राजन उर्फ राजू शहर का छंटा हुआ गुंडा था लेकिन वह स्वयं को बाहुबली कहलाना पसंद करता था। इलाके में डंका बजता था। उसने बहुत से कानूनी और गैर कानूनी धंधे फैला रखे थे। स्थानीय पत्रकार उससे संबन्धित कोई समाचार देते तो उसके लिए बाहुबली विशेषण का ही प्रयोग करते थे ।
स्थानीय विधायक बालाजी से उसकी निकटता और उसके अपने अनुयायियों की फौज उसकी शक्ति के स्रोत थे। बड़े अधिकारियों और नेताओं के दरबार में वह नियमित हाजरी लगाता था ।
खबर ये भी थी कि आने वाले चुनावों में बालाजी सांसद का चुनाव लड़ेंगे और राजन को अपनी जगह विधायक का चुनाव लड़वाएंगे।
राजन की उम्र अब लगभग तीस वर्ष होगी। लोग कहते थे उसने 18 वर्ष की उम्र में कचहरी में अपने एक प्रतिद्वंद्वी को गोली मारी थी।
राजन जब छोटा था अड़ोस पड़ोस से यदा कदा उसकी शिकायतें मिलतीं रहतीं थीं ।
फिर स्कूल से शिकायतें आने लगीं थीं। एक दिन त्रिवेदी जब कोर्ट से घर लौटे तो पत्नी उषा ने बताया कि राजन की स्कूल से शिकायत आयी है ।
त्रिवेदी ने मुस्करा कर पूछा, “ किसी को पीट दिया या पिट के आया ?”
उषा ने कहा, “ क्लास के एक लड़के को पीट दिया । किन्तु ये मज़ाक का विषय नहीं है । ध्यान नहीं देंगे तो बच्चा बिगड़ जायेगा । “
रमेश त्रिवेदी आपराधिक मामलों के वकील थे । राजन उनका इकलौता बेटा था।
उनके अधिक लाड़ प्यार का नतीजा और मुकदमों के सबंध में आने वाले अपराधी तत्वों से मिलते मिलाते राजन वास्तव में बिगड़ गया था ।
और ये सच्चाई तब उजागर हुई जब एक दिन त्रिवेदी को खबर मिली की राजन ने कचहरी में किसी को गोली मार दी और भाग गया।
त्रिवेदी ने राजन का मुकदमा खुद लड़ा और उसे सज़ा से बचा लिया। लेकिन उसकी प्रवृत्तियाँ नहीं बदल पाये।
और किवदंती ये भी थी कि कुछ ताकतवर लोगों ने राजन से उलझने की जुर्रत की तो वे फिर शहर में कभी नज़र नहीं आये।
राजन को अब कुछ ज्यादा करने की आवश्यकता नहीं होती थी। लोगों को डराने के लिये ये किस्से ही काफी थे। वह असल में बाहुबली बन चुका था ।