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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Comedy

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Comedy

अव्यस्क

अव्यस्क

2 mins
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जब भी देखो जब भी सुनो एक ही बात एक ही उल्हाना एक ही प्रकार का वाक्य तुम अभी जानते क्या हो थोड़ा बड़े तो हो जाओ, बड़ी मुश्किल से 28 साल इंतजार कर कर के इतना बड़ा हुआ हूँ , अब इनका मतलब ८२ का हो जाऊँ तब बड़ा मानेंगे। असल बात है आपके घर के बड़े अपने छोटों को कभी बड़ा होने भी देंगे के नहीं, हद है ये सुनते सुनते में आज इस उमर में आ गया। लेकिन कोई मानने को ही तैयार नहीं। चलिये देखते है कब तक इसी इंतजार में १२ बड़े अपने अपने स्वर्गलोक यात्रा पर जा चुके है। अच्छा एक और खास बात घर के जितने भी बड़े है सब के सब हम से ही अपने छोटे बड़े काम निकलवाते है। हा हा हा ..... लेकिन बड़ा नहीं होने देते। मैंने एक ज्ञान की किताब में पढ़ा था जब बच्चे की जुती मां बाप के पेर में आने लगे तो उसका MATURE होना बड़ा होना स्वीकार कर लेना चाहिये। उनके time तो उनके 3 - 3 बच्चे भी हो गये थे, चलो हम तो अभी अभी अपनी phd किये है, तो शादी तो हो ही जानी है अबलेकिन मुझे इस बात की बहुत खुन्दक है, के आपके परिवार में ही आपका सम्मान नही। मेरी GF के पापा मम्मा मुझे बहुत सम्मान देते है छोटी बड़ी सब बाते share करते है , और राय करते है कोई भी काम मुझसे पूछ के सलाह करके करते है, मैंने आज तक अपनी gf को अपने parents से introduce नहीं कराया इसी डर से वो तो एक सिरे से झाड़ देंगे कि पहले बड़ा तो हो जा अब प्रिय पाठकों आप ही फैसला कीजिये इंसान ऐसी हालत में depression का शिकार भी हो सकता है क्या पता कोई technical कमी तो नहीं उसके parents/ relatives में ........एक याचक बड़ा होने की तलाश में , अवयस्कता के 3 सरे पायदान पर खड़ा असमंजस की खटीया तोड़ रहा है कृपया मेरी मदद कीजिये - इसी चक्कर में मैंने अपना काव्यात्मक नाम ही *** एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त ** रख लिया 


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