अवसाद भगाइये
अवसाद भगाइये
वंदना ने देखा आज उनके पति राज जी करवट पर करवट ले रहे थे, कभी पानी पीने उठते थे तो कभी वाशरूम जाने के लिए। कभी लाइट चालू करते थे, तो कभी बंद वंदना समझ गई कुछ टेंशन में है, तो उठकर राजन जी के सर पर हाथ रखकर पूछा क्या हुआ नींद नहीं आ रही ? राजन जी ने कहा हाँ वंदना आज टीवी पर जो मंज़र देखा चारों और लाशें और मौत का मातम देखकर दिल अवसाद से घिर गया है। सोने की कोशिश कर रहा हूँ पर नींद कोसों दूर चली गई है। बुरे खयाल पीछा ही नहीं छोड़ते। वंदना ने पति को हौले से सुलाया और समझाते हुए कहा मेरी बात ध्यान से सुनिए, मानती हूँ समय भयावह है पर क्या डरने से या चिंता करने से सब ठीक हो जाएगा ? उल्टा दिमाग पर असर करेगा और रक्तचाप बढ़ जाएगा और हाइपर टेंशन शरीर की पूरी सिस्टम पर असर करते तबीयत खराब करता है। इसलिए आज हर दूसरे इंसान को रक्तचाप की शिकायत रहती है।
मन शांत और स्थिर होगा तो ही तन सुख रुप होगा ये याद रखिए। मन में उठते विचारों के बवंडर को दिल की दहलीज़ तक आने ही मत दीजिए दिल को कहिए All is well
देखिए आज ही वर्ल्ड हाइपर टेंशन डे है आप जैसे कमज़ोर मन वालों के लिए ही शायद मनाया जाता होगा, ये समझाने के लिए की हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेल और अंधेपन के जोखिम को बढ़ाती है। यह दुनिया भर में समय से पूर्व होने वाली मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। WHO के मुताबिक दुनिया भर में 1.13 बिलियन लोगों को हाइपरटेंशन है। भविष्य जो हम जानते नहीं उसकी कल्पना में खुद को अवसाद में धकेल देते है।
हम औरतें काम में इसीलिए व्यस्त रहती है ताकि काम में मन लगा रहे बुरे खयाल ना आए। आप भी सीख जाइये खुश रहना। ज़िंदगी इम्तिहान लेने से बाज़ नहीं आएगी, हमें ही आदत डालनी होगी हर परिस्थिति में खुद को संभालने की।
आज महामारी इतनी फ़ैली है की हर कुछ घंटे बाद किसी न किसी की मौत की खबर सुनकर हर कोई अवसाद की गर्त में जा गिरा है। ज़ाहिर सी बात है भले कोई अपना ना हो फिर भी किसी की मौत की ख़बर सुनकर सबका मन आहत जरूर हो जाता है। और ज़्यादा भावुक लोगों के दिमाग पर इन सारी चीज़ों की असर उसे डिप्रेशन का शिकार बना देती है।
पर सबको एक बात समझनी चाहिए कि किसी के भी चले जाने से ज़िंदगी रुकती नहीं। पीछे जो रह गए है उसे जीना पड़ता है। हमारे हाथ में कुछ भी नहीं ईश्वर इच्छा बलवान है, तो जहाँ हम लाचार है वहाँ ज़्यादा नकारात्मता को पाल कर दिमाग को उलझाने की बजाय सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए। सोशल मीडिया पर कोरोना और मौत के आंकड़ों वाली पोस्ट को ज्यादा मत देखो, टीवी पर एक ही समाचार बार-बार मत देखो, हर कोई मिलने वाले से या फोन पर एक कोरोना और मौत पर ही चर्चा मत करो। मरने वाले तो मोक्ष पा लेंगे पीछे जो रह जाते है वो अधमरे हो जाते है।
राजन जी बड़े ध्यान से सुन रहे थे। वंदना ने कहा ऐसे माहौल में घर में हंसी खुशी का माहौल बनाए रखना चाहिए। टीवी पर कोमेड़ी शो और हल्की फुल्की फिल्में देखिए, बहुत सारी वेब सिरीज बन रही है उसे देखते रहिए, ये जो समय आया है वो भी चला जाएगा। ईश्वर से प्रार्थना कीजिए अपना भी भला चाहो और विश्व शांति कि कामना करो। चिंता, अवसाद और अकेलेपन की असर पूरे शरीर की सिस्टम खराब कर देगी, कोरोना तो दूर उल्टा दूसरे प्रोब्लम खड़े होंगे। सुविचारित सोच पूरे परिवार को जीवंत रखती है। माना की समय खराब है पर क्या हमारे चिंता करने से बदल जाएगा नहीं ना? तो जो हमारे बस में नहीं उसके लिए इतनी जद्दोजहद करके दिमाग को डिप्रेशन की ओर क्यूँ धकेलना।
मन को शांत रखो, थोड़ा व्यायाम और मेडिटेशन आपको सच में स्फूर्ति से भर देगा। सिर्फ़ पंद्रह मिनट ॐ का उच्चारण पूरे शरीर में उर्जा का संचार भर देगा। लड़ायक मिजाज़ रखो, हर परिस्थिति में हारना नहीं चुनौतियों को हराना है ये बात मन में दोहराते रहो। परिवर्तन संसार का नियम है, बुरा समय भी खुशियों में परिवर्तित होगा।
प्रकाश जी को वसुधा की सकारात्मक बातें सुनकर अच्छा लगा, और उन्होंने भी मन बनाया आज से नकारात्मक विचार करने ही नहीं। डाॅक्टर ने भी कहा था रक्तचाप हदय का दुश्मन है, मन में अवसाद बढ़ते ही धड़कन बढ़ जाती है। और ॐ का उच्चारण करते-करते प्रकाश जी को कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। वसुधा ने लाइट बंद की और अब वह भी आराम से सो गई।
