अर्जुन द्वारा अप्सरा का उद्धार
अर्जुन द्वारा अप्सरा का उद्धार
एक बार अर्जुन १२ वर्षों के लिए तीर्थ यात्रा पर गए थे तब वह दक्षिण समुद्र के तीर्थों में स्नान करने गए थे परन्तु मुनियों ने उन तीर्थों को त्याग दिया था, जिसका कारण यह था की दक्षिण में जो पाँच तीर्थ है , वहाँ पर भयंकर मगरमच्छ रहते है और वह मगरमच्छ उन ऋषियों को जल के भीतर ले जाते है इसलिए अर्जुन को भी ऋषि - मुनियों ने दक्षिण के तीर्थों में जाने से मना किया परन्तु अर्जुन वहां चले गए।
जब अर्जुन उन तीर्थों के समीप पर पहुँच गए तब जल में रहने वाला एक मगरमच्छ अर्जुन को अपने साथ खिंच जल में ले गए परन्तु अर्जुन उस मगरमच्छ को जल से खींचकर बाहर ले आए तभी वह मगरमच्छ सुंदर स्त्री में बदल गया।
अर्जुन को यह देख अत्यंत ही आश्चर्य हुआ और उन्होंने उस सुंदर स्त्री से इस विषय में पूछा तब स्त्री ने कहा - " पहले मैं वर्चा नामक एक अप्सरा थी और मेरी चार सखियां थी। एक बार हम पाँचों देव इंद्र की सभा में जा रहे थे तब हमने देखा कि एक पंडित अध्ययन कर रहे थे तब हम हम उनके अध्ययन में बाधा डालने लगे , पहले तो उन्होंने हम पर ध्यान नहीं दिया परन्तु बाद में उन्होंने हमें मगरमच्छ होने का श्राप दिया तब हमने उनसे प्रार्थना करी और उन्होंने हमें वचन दिया कि जब कोई सिद्ध पुरुष तुम्हें जल से बाहर निकलेगा तब तुम पुनः अप्सरा बनोगी। पार्थ ! अब तुम मेरी सखियों को भी ग्राह योनि से बाहर निकालो।
तब अर्जुन ने वर्चा की समस्त सखियों को भी जल से बाहर निकाल ग्राह योनि से बाहर निकला।
शिक्षा
१) किसी के भी अध्ययन में बाधा नहीं डालनी चाहिए।
२ ) सिद्ध पुरुष के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है अतः सिद्ध पुरुष बने।