अपने घर पर ही रहिए
अपने घर पर ही रहिए


सुबह से अपने प्रिय गायक मुकेश जी के एक गीत की
कुछ लाइनें लगातार मन में आये जा रही है
"ऐसे वीराने में एक दिन
घुट कर मर जायेंगें हम
जितना चाहे पुकारो
फिर नही आयेंगें हम""
ना ना, हम भारत के लोग नही गा रहे भाई इसको हम तो
अपने घरों में आराम से मजे में बैठे हैं "!
ये दर्द भरा गीत तो वायरस भाई साहब सूनी सड़कें,
सूने मॉल, सूने सिनेमा हॉल, देखकर गाता फिर रहा है !
इसलिए हमारी पूरी कोशिश यही रहे कि वही इसको गाये,
हमको कभी ये लाइनें ना गानी पड़े इसलिए।