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Vasu Sharma

Horror Crime Thriller

3  

Vasu Sharma

Horror Crime Thriller

अनसुलझे मर्डर्स अध्याय-4

अनसुलझे मर्डर्स अध्याय-4

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(पिछले अध्याय में हमने पढ़ा कि अभिनव के दोस्त और इंस्पेक्टर अमर संजय के घर जा रहे है। घर पहुंचते ही सब गाड़ी से उतरते है लेकिन संजय की रहस्यमय तरीके से मौत हो जाती है और फिर आगे।)


अमर (संजय के दोस्तों से)- कुमार साहब को अचानक से क्या हो गया।


विराज- पता नहीं इंस्पेक्टर साहब, मैं तो फ्रंट सीट पर ही बैठा था संजय गाड़ी चला रहा था। हम सब इसका मन बहलाने के लिए बीच बीच में मजाक कर रहे थे ये भी ठीक था लेकिन हम गाड़ी से उतरकर बाहर निकले है उतनी देर में ही इसकी मौत हो गई।


(अमर लाश का मुआयना करता है।)


अमर (लाश को देखते हुए)- बिल्कुल अभिनव की तरह लाश पर कोई निशान नहीं है। (फिर रवि से)- लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजो।


अफजल- या अल्लाह! कुछ दिनों से हमारे साथ क्या हो रहा है। 


अमर- कुमार साहब के घर में और कौन कौन है।


करन- संजय की शादी अभी दो साल पहले ही हुई है और उसके कोई बच्चे नहीं है। भाभी जी के अलावा उसके घर में और कोई नहीं है।


विराज- भाभी जी संजय से बहुत ज्यादा ही प्यार करती है, जब हम ऑफिस में होते है तो सबसे ज्यादा फोन भाभी जी का ही आता था।


अमर- कुमार साहब के घर पर तो ताला लग रहा है इस वक्त उनकी पत्नी कहां है।


विराज- एक हफ्ते पहले ही वो अपने मायके गई है।


(तभी फोन की रिंग बजती है सब इधर उधर देखते है फोन संजय का था जो गाड़ी में रखा हुआ था अमर गाड़ी में से फोन निकालता है।)


अमर- किसी निधि के नाम से फोन आ रहा है।


विराज (रोते हुए)- ये तो भाभी जी का फोन है हम उन्हें सच कैसे बता पाएंगे कि हम संजय की जान नहीं बचा पाए। मेरे से तो बात नहीं कि जाएगी।


(फोन कट जाता है पर निधि लगातार फोन करती रहती है।)


अफजल- किसी न किसी को तो बात करनी होगी।


करन- आप हम सब में बड़े है भाई जान आप ही क्यों नहीं बता देते।


अमर- आप लोग नहीं कह पा रहे तो मैं ही फोन उठा लेता हूं।


(अमर फोन उठा लेता है।)


अमर (फोन पर बात करते हुए)- हेलो निधि जी बात कर रही है।


निधि- हां मैं निधि बोल रही हूं पर आप कौन बोल रहे हो और मेरे पति कहां है।


अमर- जी मैं इंस्पेक्टर अमर बात कर रहा हूं, मुझे आपको बताना था कि आपके पति की मौत हो चुकी है।


निधि (गुस्से में)- ये आप क्या कह रहे हो। आपकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा मजाक करने की।


(अमर विराज को फोन देता है।)


विराज- हेलो भाभी जी मैं विराज बोल रहा हूं।


निधि (थोड़ा शांत होते हुए)- हां विराज भैया, संजय कहां है और ये कौन उनके बारे में अशुभ बाते बोल रहे थे।


विराज (रोते हुए)- भाभी जी संजय का किसी ने खून कर दिया है वह अब नहीं रहा।


(विराज की बाते सुनकर निधि बेहोश हो जाती है और फोन कट जाता है।)


विराज- हेलो हेलो भाभी जी। फोन कट गया।


करन- मुझे अभी तक ये समझ में नहीं आया कि संजय मरा तो मरा कैसे, कहीं संजय को किसी ने जहर तो नहीं दिया।


विराज- कैसी बात कर रहे हो करन सुबह से जो हमने खाया है वहीं संजय ने खाया है तो उसे कोई जहर कैसे दे सकता है।


अमर- मैं इस गाड़ी को कस्टडी में लेता हूं हो न हो कुमार साहब की मौत का कारण इस गाड़ी में ही छिपा है। 


अफजल- मुझे भी ऐसा ही लगता है।


करन- हां मैने एक पिक्चर में देखा था उस पिक्चर में खूनी ने गाड़ी के स्टीयरिंग पर जहर लगा दिया था।


विराज- करन पिक्चर और हकीकत में काफी अंतर होता है।


अमर- पर और कोई वजह भी तो हमे नहीं मिल रही है जिससे कुमार साहब की मौत हुई हो।


करन- मैं आपकी बात से सहमत हूं इंस्पेक्टर साहब।


अमर- अच्छा तो मैं चलता हूं।


(सब चले जाते है और अगले दिन इंस्पेक्टर अमर के फोन पर डीएसपी श्रीकांत शर्मा का फोन आता है, अमर फोन उठाता है।)


अमर- जय हिंद सर।


श्रीकांत- जय हिंद। अमर तुम फौरन मेरे ऑफिस आई मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है।


अमर- जी सर मैं आपके पास दस मिनट में पहुंचता हूं।


(फोन कट जाता है और अमर सबसे पहले अपनी बाइक से पुलिस थाने पहुंचता है वहां पहुंचकर फिर जीप में हलवलदार रवि के साथ डीएसपी ऑफिस के लिए निकलता है।)


अमर- रवि तुमको क्या लगता है कि डीएसपी साहब ने हमे क्यों बुलाया होगा।


रवि- मालूम नहीं साहब लगता है कोई जरूरी बात होगी।


(कुछ देर में दोनों डीएसपी ऑफिस पहुंच जाते हैं।)


अमर- जय हिंद सर।


श्रीकांत (अमर को देखकर)- अमर ये मैं क्या सुन रहा हूं।


अमर- ये तो आपको ही पता होगा सर आप क्या सुन रहे हो।


श्रीकांत- तुमको लगता है मैने तुम्हे यहां मजाक करने के लिए बुलाया है।


अमर- मुझे माफ कर दीजिए सर। बताइए आपने मुझे क्यों बुलाया है।


श्रीकांत- तुम्हे दो लोगों को बचाने की ड्यूटी मिली थी और उन दोनों में से तुम किसी को नहीं बचा सके। ये अखबार पढ़ो मीडिया वालो ने क्या क्या खबरें छाप दी है। अभिनव ठाकुर और संजय कुमार छोटे आदमी नहीं थे भारत की सबसे बड़ी कार कंपनी के हिस्सेदार थे। मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी अमर की तुम अपनी ड्यूटी अच्छे से नहीं निभा पाओगे।


अमर- मैं क्या करता सर, आप अभिनव ठाकुर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखिए इसमें उनकी मौत कैसे हुई इसका पता ही नहीं चला।


श्रीकांत (चौंक कर)- पर ऐसा कैसे हो सकता है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कुछ निकला ही न हो।


अमर- यही तो मेरी समझ में नहीं आ रहा है सर इन दोनों की मौत रहस्यमय तरीकों से हुई है एक की मौत बंद कमरे में हुई है तो दूसरे की एक चलती गाड़ी में जिसे वो खुद ही चला कर ला रहा है। चलो अभिनव ठाकुर की मौत का तो समझ में आता है कि उनकी पत्नी उनका खून कर सकती है पर संजय कुमार का खून किसने किया।


श्रीकांत- गाड़ी में संजय के अलावा और कौन कौन था।


अमर- उनके तीनों दोस्त थे। मैं अपनी जीप से उनके पीछे जा रहा था।


श्रीकांत- तुम्हे उनमें से किसी पर शक नहीं हुआ।


अमर- मतलब मैं कुछ समझा नहीं।


श्रीकांत- मतलब कि ये अभिनव के मरने के बाद ये चारों ही कंपनी के पार्टनर्स होते और एक और के मरने के बाद बचे हुए तीनों का मुनाफा कुछ हद तक बढ़ नहीं जाता।


अमर- ये तो मैंने सोचा ही नहीं सर।


श्रीकांत- तो कब सोचोगे अमर।


अमर- पर उनके चेहरे देखकर ऐसा तो नहीं लग रहा था कि वो लोग ऐसा कर सकते है।


श्रीकांत- तुम कभी बिजनेस लाइन से नहीं जुड़े हो अमर इसलिए तुम्हे कुछ नहीं पता। चंद पैसों के लिए लोगों की नियत बदल जाती है और ये तो करोड़ों की बात है इन लोगों का संजय को मारना और फिर नाटक करना कोई नई बात नहीं है।


अमर- पर कुमार साहब को पहले एक अनजान नंबर से मैसेज में मारने की धमकी मिली थी।


श्रीकांत- तुमने उस नंबर का पता लगाया वो किसका है।


अमर- वो नंबर सर किसी नाम से रजिस्टर्ड नहीं है। और फोन करने पर वह अमान्य बता रहा है।


श्रीकांत- तो फिर मुझे लगता है ऐसा ही हुआ है इन लोगों ने किसी हैकर को पैसे देकर नकली सिम बनवाई और मैसेज करके उसे डराया मौका मिलते ही संजय को मार दिया।


अमर- पर फिर अभिनव ठाकुर का खून किसने किया।


श्रीकांत- कह तो तुम ठीक रहे हो एक बार को ये संजय को तो मार सकते है पर अभिनव को एक बंद कमरे में मारना और उस वक्त तो ये घर में भी नहीं थे ये अभिनव का खून नहीं कर सकते।


अमर- और मुझे लगता है कि इन दोनों की मौत एक ही आदमी ने की है।


(तभी अमर का फोन बजता है अमर फोन देखता है वह फोन पोस्टमार्टम हॉस्पिटल से था।)


अमर- सर फोन पोस्टमार्टम हॉस्पिटल से आ रहा है ऐसा लगता है कुमार साहब की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है।


श्रीकांत- फोन उठाओ जल्दी।


अमर (फोन पर बात करता है)- हां डॉक्टर साहब।


डॉक्टर- इंस्पेक्टर अमर आप कैसी लाश ला रहे हो पहले वाली की तरह इस लाश का भी पता नहीं चला की इसकी मौत कैसे हुई। मेरे बीस साल के करियर में मैने पहली बार ऐसी दो लाश देखी है जिसका मैं पता नहीं लगा पाया कि इनकी मौत की वजह क्या है।


अमर- ठीक है डॉक्टर साहब आप जो कर सकते थे आपने किया अब हमे ही पता लगाना होगा कि इनकी मौत हुई तो हुई कैसे।


(अमर फोन काट देता है।)


श्रीकांत- क्या निकला संजय की रिपोर्ट में।


अमर- वही अभिनव ठाकुर की तरह इनकी मौत की वजह भी नहीं पता चल पाई।


श्रीकांत- पर ऐसा कैसे हो सकता है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कुछ निकले ही नहीं।


(तभी अमर का फिर फोन बजता है और ये फोन करन चौधरी का था। अमर फोन उठाता है।)


अमर- हां हेलो कौन।


करन (घबराते हुए)- इंस्पेक्टर अमर मैं करन बोल रहा हूं आप जहां कही भी हो प्लीज जल्द से जल्द मेरे घर आ जाइए।


अमर- क्या हो गया चौधरी साहब आप इतना घबरा क्यों रहे हो।


करन- आप मेरे घर जल्द से जल्द आ जाइए मैं आपको यही बताता हूं।


अमर- ठीक है मैं अभी पहुंच रहा हूं आप घबराइए मत।


(अमर फोन काट देता है।)


श्रीकांत- क्या ये संजय का पार्टनर करन ही था।


अमर- हां पर चौधरी साहब कुछ ज्यादा घबराए हुए थे।


श्रीकांत- तुम पहुंचो और वहां पता लगाओ कि उसने तुम्हें क्यों बुलाया है मुझे तो लगता है कि इसकी जान भी खतरे में है।


अमर- ठीक है सर मैं अभी निकलता हूं, जय हिंद सर।


श्रीकांत- जय हिंद।


(तो दोस्तो आपको क्या लगता है कि करन ने अमर को क्यों बुलाया होगा क्या उसकी जान भी तो खतरे में नहीं है ये जानने के लिए हमें पढ़ना होगा अनसुलझे मर्डर्स अध्याय-5)


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