अनोखी कहानी
अनोखी कहानी
अपने और पराए की पहचान इस दौर में मुश्किल है।
एक छोटे से गांव में विनोद भाई और उनकी पत्नी ऊषा बहन रहते थे उनके चार बच्चे थे।
बडा बेटा निलेष, दूसरा जीतेश, तीसरा राकेश और सबसे छोटी बेटी भारती।
विनोद भाई के गांव में खेत, ( जमीन ) बहोत थी और हवेली थी जिसमें सभी रहते थे।
विनोद भाई ने सभी को पढ़ाया और बारी बारी सभी की शादी करवा दी.
भारती बीस साल की थी और उसकी शादी ऐक बड़े शहर में करवाई और शादी के सात महीने मे ही विनोद भाई का देहांत हो गया। विनोद भाई का देहांत हो जाने के बाद भारती के ससूराल जा कर निलेष और ऊषा बहन ने जमीन जायदाद के कागज पर भारती के हस्ताक्षर करवा लिए और बादमें कहा के हमारे लिए तु मर गई है आज से तेरे साथ हमारा कोई रिश्ता नहीं।
भारती के ससुराल वालों ने भारती को संभाल लिया।.
पंद्रह बरस के बाद निलेष ने सभी जमीन जायदाद बेच दिया और दोनों भाई को भी अलग कर दिया क्योंकि निलेष जुआं खेलने में सब गवां चुका था।
और उसने ऊषा बहन को भी दूसरे बेटे के पास भेज दिया पर दरबदर की ठोकरें खाने के बाद सभी भारती के पैरों में गिर गये और नौकरी और मकान दिलाने की मन्नतें करने लगे भारती का दिल भावनाओं से भरा था उसने ससुराल वालों की तरफ देखा।
ये देख छोटा देवर बोला, अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे
ससुराल वालों ने पनाह दिया।
