आवडत
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अरविंद भाई के दो बेटे थे बडा राजीव और छोटा प्रशांत.. राजीव बचपन से ही पढ़ाई लिखाई पे ध्यान नहीं दे पा रहा था.. छोटा प्रशांत होशियार था वो पढ़-लिखकर बडा ओफिसर बन गया.. राजीव के लिए गांव की लड़की लता से शादी करवाई और वो भी सादगी से.. और प्रशांत की शादी बडे धूमधाम से और शहर की लड़की मोनिका से करवाई...
बचपन से ही राजीव को बात-बात में सभी हडधूत करते थे लता ने देखा कि प्रशांत के लिए देहरादून चावल पकते और राजीव को चावल चाहिए तो उसके लिए सस्ते वाले चावल पकते.. हर बात में भेदभाव होता था.. लता थोडे दिन चूप रहीं फिर उसने पूछा क्यों ऐसा भेदभाव होता है तो सास ससुर ने बताया कि प्रशांत ओफिसर हैं और लाखों रुपए कमाए करके लाता है और राजीव कुछ नहीं..
लता को यह बात दिल पर लग गई और उसने एक निर्णय लिया और रात को भावनात्मक तरीकों से राजीव को समझाया और फिर वो दूसरे दिन अलग घर बसाने दूर निकल गई...
लता ने अपने मैयके के गेहने बेचकर एक दुकान किराए पर लिया और आवश्यक चीजों बेचने लगे..
राजीव लता को एक बेटा हुआ उसका नाम आकाश रखा उसे पढ़ाई लिखाई कराई और वो बड़ा डोकटर बना और बडा सा घर लिया और दादा,दादी और चाचा-चाची को निमंत्रण पत्र भेजा और जब वो आई तो थाली में रुपए और जवारात परोसा ये देख चारों बोले यह क्या है खाना लाओ भूख लगी है..
लता बोली यह तो खाना है आप कहते थे कि प्रशांत भैया ओफिसर हैं तो उसे खाना अच्छा चाहिए तो इससे अच्छा खाना हो ही नहीं सकता आपके लिए *ऐसा बोल के चांदी का जूता मारा* यह सुनकर चारों को आंख खुल गई और माफी मांगी फिर लता ने सभी को खाना खिलाया और बोली रुपए जरुरत है परन्तु भेदभाव नहीं करना चाहिए.....
