अनजाना (५ भाग )
अनजाना (५ भाग )
भाग-१
राघव दसवीं कक्षा में पढ़ रहा था। उसकी एक छोटी बहन थी जिसका नाम रीमा था। वह दूसरी कक्षा में पढ़ रही थी। दोनों शाम को स्कूल से घर पहुँचे तो देखा हमेशा लड़ाई करने वाली दादी और माँ साथ में बैठकर ख़ुशी से बातें कर रही थी। यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है। ये दोनों भाई बहन के पहुँचते ही दादी ने कहा -जानकी बच्चों को नाश्ता खिला दे। राजीव के आने के बाद हम तीनों साथ में चाय पीएंगे। दोनों भाई बहन अपने बैग कमरे में रखकर तैयार होकर आए। उनके मनपसंद कार्न के समोसे बने थे। दोनों ने बहुत ही मज़े लेते हुए खाए। जैसे ही खाना हुआ राघव और रीमा अपने दोस्तों के साथ बाहर खेलने चले गए। पाँच बजते ही राजीव घर पहुँचे। उन्हें भी सास बहू को बातें करते देख आश्चर्य हुआ। राजीव जल विभाग में काम करते थे। पिता के गुजरने के बाद उन्हें यह नौकरी मिल गई थी। राजीव जब तक हाथ मुँह धोकर आते हैं तब तक जानकी ने चाय बना दिया। चाय नाश्ता लेकर वह बैठक में पहुँची। रुक्मिणी भी वहीं बैठीं हुईं थीं। चाय पीते -पीते राजीव ने पूछा क्या बात है ? दोनों ने मिलकर कौन सा ऐसा कांड किया है और अब मेरी रज़ामंदी के लिए बैठी हैं। मैं पहले से ही कहे
देता हूँ आप लोगों के पचड़े में मुझे नहीं खींचना। राजीव की बात सुनकर दोनों एक-दूसरे का मुँह देखने लगी जैसे कह रही हैं कि तू बोल दे ना। किसी तरह रुक्मिणी ने ही हिम्मत जुटाई और कह दिया कि अपने ऊपर का जो कमरा है न उसे किराए पर दे दिया है। दो हज़ार रुपये महीने के लेकर। दस हज़ार रुपए उसने एडवांस भी दे दिया है। मैंने सारी पूछताछ कर ली है। नया है ..शहर में कुछ काम से आया है, काम ख़त्म होते ही चला जाएगा। अब तू कुछ नहीं कहेगा !कमरे को भी हमने साफ़ करवा दिया है। हमारा टूटा फूटा सामान वहीं कोने में पड़ा रहेगा। उसे कोई एतराज़ नहीं है। एक ही साँस में बिना रुके सारी बातें कह देती हैं और अंत में रुक कर राजीव का मुँह देखती है। राजीव ने पूछा उसका नाम क्या है? रुक्मिणी ने कहा —वह तो हमने पूछा ही नहीं कोई बात नहीं है। कल वह जब आएगा तब पूछ लूँगी। कहते हुए दस हज़ार रुपये राजीव के हाथ में रख देती है। राजीव भी सोचते हैं कि कोई बात नहीं है। माँ ने तो उसका पूरा चिट्ठा खुलवा ही लिया होगा तो डरने की कोई बात नहीं है। सामानों से भरा ख़ाली कमरे को भी किराया मिल सकता है और वह भी दो हज़ार महीने के फिर क्या बात है। यह सोचकर राजीव खुश हो जाता है और दस हज़ार एडवांस अपनी अलमारी में रख लेते है।
भाग-२
दूसरे दिन सुबह राजीव पेपर पढ़ रहे थे कि बाहर गेट के सामने एक आटो रिक्शा रुका बाहर जाकर देखा तो एक लड़का था जो अपने सामान नीचे उतार रहा था। बहुत सुंदर था। राजीव को देख —-उसने कहा मेरा नाम मुकेश है। मैं आपके घर का नया किरायेदार हूँ। उसकी विनय और विनम्र से भरी बातों से राजीव भी मोहित हो गया। मुकेश कब घर आता है ,कब बाहर जाता है किसी को ख़बर ही नहीं होती थी। हमेशा दरवाज़ा खुला रखकर टी .वी देखने वाली रुक्मिणी ने भी उसे अब तक नहीं देखा था। उसे आए पूरे पन्द्रह दिन हो गए थे। एक दिन सुबह वह सब्जियों से भरा थैला लेकर आया और कहने लगा दादी जी गाँव से आ रहा था ताज़ी सब्जियाँ दिखी तो आपके लिए ला दिया। रुक्मिणी बहुत खुश हो गई और बहू को आवाज दी जानकी पैसे लेकर आ मुकेश ताज़ी सब्जियाँ लाया है और मुकेश की तरफ़ मुड़कर कहती है कितने पैसे देने हैं बेटा। मुकेश कहता है क्या दादी आप भी मेरी दादी होकर पैसे देने की बात करती हैं।
यह सिलसिला हर पंद्रह दिन में होने लगा। अब तो मुकेश ने राघव और रीमा को भी अपने कमरे में ले जाकर उनके साथ खेलने लगा। घर के सभी लोगों के साथ मुकेश धीरे-धीरे घुल मिल गया। अब तो वह राजीव के घर का हिस्सा बन गया।
भाग-३
राघव और रीमा ने घर में हंगामा कर रखा था और माँ से कह रहे थे कि स्कूल नहीं जाएंगे क्योंकि दीदी आई हुई है। राघव की बहन की लड़की अर्पिता आई हुई थी। उसके कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म हो गई थीं। वह अपनी नानी से मिलने रात को ही आई थी। दस पन्द्रह दिन रहकर जाने वाली थी। इसलिए दोनों बच्चे स्कूल न जाने की जिद कर रहे थे। जानकी ने उन्हें किसी तरह समझा बुझाकर स्कूल भेजा। दोपहर जब सास बहू सो रहे थे मुकेश सब्जियों का बैग लेकर आया। अर्पिता ही सामने बैठकर टी वी देख रही थी। दादी कहकर पुकारते ही वह बाहर आई उसे देखते ही मुकेश ने आँखें बिना झपकाए उसे देखते ही रह गया था। ग़ज़ब की खूबसूरती थी उसकी। मुकेश को भी पल्लवी को देखते ही रह गई थी। मुकेश बेहद खूबसूरत गबरू जवान था। दोनों की आँखों में चमक आ गई। पीछे से जानकी ने कहा वो मुकेश आजा बेटा यह राजीव के बहन की बेटी पल्लवी है। इंजीनियरिंग किया है। जॉब ढूँढ रही है। इस बीच ब्रेक के लिए नानी को देखने आ गई। पल्लवी यह मुकेश है अपने ऊपर जो कमरा है न उसी में रहने आया है। बहुत ही अच्छा लड़का है। इस तरह से दोनों का परिचय हो गया।
दोनों में नजदीकियाँ बढ़ने लगी। इन दोनों के प्यार क़समें वादों के बारे में घरवालों को पता भी नहीं चला। अर्पिता की नौकरी लग गई और उसका उसके माता-पिता के पास जाने का समय आ गया था। इनके प्यार से बेख़बर राजीव ने मुकेश को अर्पिता को उनके घर में छोड़कर आने की ज़िम्मेदारी सौंपी। अंधे को क्या चाहिए दो आँख बस ...दोनों घर से निकल कर अपनी नई दुनिया बसाने के लिए चले गए। दूसरे दिन राजीव को बहन से फ़ोन आया भाई अर्पिता घर नहीं पहुँची। उनकी बस कब की थी। राजीव ने कहा —अब तक तो उन्हें पहुँच जाना चाहिए। राजीव —-माँ और पत्नी को डाँटने लगा कि किसी भी अनजान व्यक्ति को घर किराए पर दे दिया मेरी भी गलती थी। मैंने तुम लोगों पर भरोसा किया। अब क्या होगा बहन को क्या जवाब दूँगा कहते हुए वह चिल्लाते जा रहा था। रुक्मिणी ने कहा चलो मुकेश के कमरे में देखते हैं शायद कुछ तो सुराग मिल ही जाएगा। सब लोग चाबी लेकर ऊपर भागे। दरवाज़ा खोला तो देखा पूरा कमरा ख़ाली था। कोई भी नहीं कह सकता था कि कुछ दिन पहले यहाँ कोई किराए पर रहता था। अभी ये लोग कुछ सोचते समझते नीचे बहुत सारे लोगों की आवाज़ें आ रही थी। राघव बाहर आकर कहता है पापा पुलिस आई है। राजीव जल्दी से नीचे आता है तो पुलिस उनसे पूछताछ करने लगती है और मुकेश का फोटो दिखाकर कहते हैं कि यह लड़का आपके घर में किराए से रहता है। राजीव उन्हें अंदर ले जाकर बिठाते हैं और सारी बातें बताते हैं और पूछते हैं कि आखिर मुकेश ने ऐसा क्या किया है कि आप उसे ढूँढ रहे हैं। इंस्पेक्टर ने कहा कि आपको नहीं मालूम अनजाने में ही आपसे कितनी बड़ी भूल हो गई है ..उसने अपने गाँव के ज़मींदार और उनके लड़के का खून कर दिया है। वह खूनी है।
भाग-४
मुकेश एक गाँव में रहता है। माता-पिता, बहन ..पिता वहीं गाँव के स्कूल में अध्यापक हैं। एक छोटा सा परिवार है। बहुत ही पढ़ा लिखा लड़का है। उसने आई आई टी में इंजीनियरिंग किया है बहुत ही होनहार है।
पता नहीं क्या बात हुई कि उसने अपने गाँव के ही ज़मींदार की हत्या कर दी और फ़रार हो गया था। गाँव में माता-पिता और बहन तीनों की मृत्यु हो गई है। वह भागकर यहाँ इस शहर में आकर आपके घर में छुप गया। आप लोगों को मालूम ही नहीं कि आप लोगों ने कैसी मुसीबत मोल ले ली है। अब तो आपके घर की लड़की भी उसके साथ है। आप लोगों को कुछ ख़बर मिली तो हमें बताइए हम भी कुछ पता चले तो आपको ज़रूर बताएंगे कहकर चले गए। रुक्मिणी रोने लगी चंद पैसों के लिए हमने खूनी को घर किराए पर दे दिया था। मेरी ही गलती थी बड़ी होकर भी मैंने ही गलती की है। नाती को भी साथ लेकर चला गया है। बेटी दामाद को क्या जवाब दूँगी कहते हुए विलाप करने लगी। पूरे घर में लोग शोकाकुल हो गए। राघव ने कहा पापा हम दीदी को फ़ोन कर सकते हैं न। राजीव ने कहा अरे !हम इतने बेवक़ूफ़ हैं कि हमें याद ही नहीं रहा कि हम फ़ोन कर सकते हैं। अर्पिता को फ़ोन किया गया पर फ़ोन आउटॉफ नेटवर्क आ रहा था।
भाग-५
राजीव का एक दोस्त पुलिस कमिश्नर था।
वह उनके पास गया और सारी बातें बताई कि कैसे एक अनजाने व्यक्ति पर भरोसा किया और कमरा किराए पर दे दिया और वह जाते जाते घर की इज़्ज़त भी साथ ले गया है।
उन्होंने ने कहा राजीव तुम घर जाओ मैं पूरी तहक़ीक़ात करके तुम्हारे पास आऊँगा। राजीव घर आ गया। बहन जागृति भी आ गई और रोने लगी क्या करूँ माँ कहते हुए। राजीव ने कमिश्नर की कही बातों को घर में बताया। पूरे एक हफ़्ते के बाद एक दिन शाम को कमिश्नर की गाड़ी इनके घर के सामने रुकी। सभी सदस्य बाहर आ गए उन्हें सादर प्रणाम करके अंदर बैठक में बिठाकर पानी लाकर पिलाए। सभी उत्सुकता से उनकी तरफ़ देख रहे थे कि क्या ख़बर लाए होंगे।
राजीव जैसे ही आया उन्होंने कहना शुरू किया...राजीव मैं मुकेश के गाँव गया था। मैंने वहाँ गाँव वालों से पूछताछ की उनका कहना है कि मास्टर जी का परिवार बहुत ही अच्छा है। कभी ज़ोर से वे लोग बातें भी नहीं करते हैं। दोनों बच्चे अपनी पढ़ाई पर ज़्यादा ध्यान देते थे कभी किसी के पचड़ों में नहीं पड़ते थे। मुकेश बहुत ही अच्छा लड़का है। पढ़ा लिखा और संस्कारी युवक है। पढ़ाई समाप्त होते ही उसे माइक्रोसॉफ़्ट में बीस लाख सालाना की नौकरी लगी थी। अपने माता-पिता को और बहन को अपने साथ ले जाने आया था। उसके चाचा चाची भी उसी गाँव में रहते हैं उनके घर मिलने गए थे। आते वक़्त देर रात हो गई थी। चाचा ने कहा भी था कि कल सुबह चले जाना क्योंकि उस गाँव का ज़मींदार अच्छा नहीं है। आए दिन लड़कियों को ले जाता है और उन्हें ख़राब करके मार डालता है। अब तो उसका बेटा भी उसी के जैसा हो गया है पर मुकेश और पिता नहीं माने कुछ नहीं होगा बस दो कदम घर पर पहुँच जाएंगे और निकल गए पर होनी को कौन टाल सकता। ज़मींदार के आदमी इनका रास्ता रोक कर खड़े हो गए और बहन को उठा कर ले गए इन तीनों को वहीं पेड़ पर बाँध कर रख दिया। दूसरे दिन सुबह बहन की लाश इनके आगे फेंककर इनकी रस्सियों को खोल कर हँसते हुए जाने लगे। उस दिन ज़मींदार और बेटे को अपने परिवार के सदस्यों को लेकर कहीं बाहर जाना था इसलिए वे भी साथ थे। मुकेश का गर्म खून लावा बनकर बहने लगा। बहन की लाश को देखते ही उसने उन पर हमला कर दिया था। गाँव वालों ने भी उसका साथ दिया और सबने मिलकर ज़मींदार और उसके बेटे की हत्या कर दी। इसी हादसे में मुकेश के माता-पिता की मृत्यु भी हो गई। गाँव वालों ने ही मुकेश को वहाँ से भेज दिया। माता-पिता और बहन को खोकर वह हमारे यहाँ शहर पहुँच गया था। अब जब वह तुम्हारे भतीजी को साथ लेकर गया तो गाँव वालों ने उसे वहीं छिपाकर रखा है। ज़मींदार के सारे करतूत सामने आ गए हैं।इसलिए पुलिस भी इस केस को बंद कर रही है क्योंकि वारदात पर जितने भी लोग थे किसी ने भी यह मानने से इनकार किया कि मुकेश ने उन्हें मारा है।यहाँ तक कि ज़मींदार की पत्नी ने भी किसी का नाम नहीं लिया। यही कहा कि पीकर गाड़ी तेज रफ़्तार से भगा रहे थे तो गाड़ी के पलटने से मृत्यु हो गई है। इसलिए सब्र कर केस के बंद होते ही उन्हें सबके सामने लाकर उनकी धूमधाम से शादी कर देंगे। अब तो बस मैं यही कहूँगा कि बिना किसी के बारे में जाने घर किराए पर नहीं देना। मुकेश अच्छा था इसलिए चल गया। कोई सचमुच ही ग़लत आदमी होता और पल्लवी उनके हाथ लग जाती तो क्या करते थे। कह कर कमिश्नर चले जाते हैं और घर पर सब चैन की साँस लेते हैं।
