अन्धे को आईना दिखाना
अन्धे को आईना दिखाना
अंजलि बहन छोटी सी उम्र में विधवा हुए थे.. सिलाई काम करके बेटे सूरज को बडा किया और सूरज जब पढ लिखकर ओफिसर बन गया उसकी सादी जाती की लड़की चेतना से करा दिया..
शादी के बाद सूरज ओफिस चला जाता बादमें चेतना सारा दिन मोबाइल में अपनी अलग-अलग मुंह बनाती फोटो निकालकर सारा दिन सोसयल मीडिया पर डालती रहती घरकाम में कुछ ध्यान देती नहीं जब सूरज का आने का समय होता तब बनढनकर मोबाइल बंद करके एक और रख देती..
अंजलि बहन की एकाएक तबीयत बिगड़ गई उन्हें अस्पताल ले गए वहां रीपोर्ट कराने पर मालुम पडा उन्हें कैंसर है और सारे शरीर में गांठ फेल गई थी..
डोकटर ने कहा लास्ट स्टेज में है घर पे जो हो सकता है वो कीजीए.. सूरज ने एक सप्ताह की छुट्टी ली थी फिर वो तो ओफिस चला जाता और चेतना मोबाइल में यह देख अंजलि बहन भगवान को प्राथना करते रहते के मुझे तेरे पास बुला ले..
एक दिन पड़ोसन अंजलि बहन की हालचाल पूछने आई उसने देखा अंजलि बहन ने कुछ खाया पिया नहीं है और चेतना को मोबाइल में लीन देखा तो उन्होंने अपनी भावना पर काबू गुमाकर चेतना को कहा की तुम नये जमाने की हो पर यह कौन-सा तरीका है कि सांस बिस्तर में लाचार है और तुम सारा दिन सोसयल मीडिया में फोटो डालती रहती हो यह सुनकर चेतना फुफकार कर बोली मुझे क्या करना है और क्या नहीं यह सलाह देने में वक्त गंवाए बिना आप अपने घर में ध्यान दिजीए यह सुनकर पड़ोसन मन ही मन बड़बड़ाई *अन्धे को आईना दिखाना* जितना कठिन हैं उतना ये मोबाइल में घुसी औरत को समझाना..