अनाथ

अनाथ

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 "चल विश्वास स्कूल चल !"

सिगरेट के खोखे के पास आवारा से लड़कों के पास खड़े विश्वास को वंश ने कहा !

"अबे जा ना, परेशान ना कर ....घर में बापू का भाषण .....और अब तू .....मगज न खराब कर .......जा... तू ... जा...तू ही बन जा कलक्टर, शिशु केंद्र का कबाड़ कहीं का.........!"

 आँसू छलक गए वंश की आँखों में ........उसे भगवान से शिकायत हो आई, "तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं हो....... स्कूल से आती प्रार्थना की आवाज ने उसे संभाल लिया ! 

 अब वो दुःखी नहीं था ........अब वो अनाथ नहीं था ! 


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