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Kumar Vikrant

Tragedy

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Kumar Vikrant

Tragedy

अजनबी रक्षक-सनशाइन

अजनबी रक्षक-सनशाइन

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"बच्चो का अचानक गुम हो जाना आजकल बहुत हो गया है; मानव तस्कर इस काम को बहुत ही चालाकी के साथ कर रहे है। आप लोग तो बच्चो को स्कूल भेज कर उनकी गतिविधियों पर ध्यान रखना उचित नहीं समझते हो और जब बच्चे गायब हो जाते है तो सारा का सारा दोष पुलिस पर डाल देते हो।" पुलिस इंस्पैक्टर गरुड़ दीपा की और देखते हुए बोला।

"सर मैं सिंगल मदर हूँ, बेटी का जन्म होते ही मेरे पति और ससुराल वालो ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया था, माता-पिता और भाई है नहीं; मुझे अपना और बेटी का पेट पालने के लिए काम करना पड़ता है इसी वजह से उसे डे बोर्डिंग स्कूल में डाल रखा है, रोज ऑफिस के बाद उसे स्कूल से ले लेती थी लेकिन आज शाम थोड़ा देर से स्कूल पहुँची तो इला स्कूल में नहीं मिली, स्कूल वाले जिम्मेदारी से बच रहे है। आप ही बताएं मैं पुलिस के अलावा किस के पास जाऊ।" दीपा रोते हुए बोली।

"आप रोएं मत हम अपना बेस्ट करने की कोशिश कर रहे हैं, मेरा तेज-तर्रार सब इंस्पैक्टर राहुल मानव तस्करो को बहुत दिन से घेर रहा है वो ही आस-पास के क्षेत्रो में संदिग्ध मानव तस्करो से पूछताछ करने गया है देखते है कुछ बात बनती है या नहीं......." इंस्पैक्टर गरुड़ गंभीरता के साथ बोला।

"सर इला के अलावा मेरे पास कुछ भी नहीं है........प्लीज बचाइए उसे........." बोलते-बोलते दीपा की जुबान लड़खड़ा रही थी और उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।

अचानक इंस्पैक्टर गरुड़ के फोन की घंटी बजी, फोन सुनते ही वो बोला, "उन्हें हॉस्पिटल लेकर चलो, मैं अभी स्पॉट पर पहुँचता हूँ।"

इंस्पैक्टर गरुड़ की आँखों में बेचैनी थी उसने ड्राइवर को पुलिस जीप निकालने को कहा और दीपा से बोला, "आप मेरे साथ आओ, कुछ मानव तस्करो से सब इंस्पैक्टर राहुल की मुठभेड़ हुई है; वो बुरी तरह जख्मी हुए है; उन्हें अस्पताल भेज दिया गया है। मानव तस्कर कुछ बच्चियों को बख्सो में बंद करके ले जा रहे थे, उन बच्चियों की हालत भी ठीक नहीं है। बच्चियों की प्राथमिक चिकित्सा के लिए अस्पताल ले जाया गया है, आइए देखते है उन बच्चियों में आपकी बच्ची है या नहीं।"

जी सर कहते हुए दीपा भी पुलिस जीप में पीछे की तरफ बैठ गई।

विल सिटी के सरकारी अस्पताल में मरीजों की भीड़ थी। मानव तस्करो से सब इंस्पैक्टर राहुल की मुठभेड़ की खबर अभी तक मिडिया को नहीं मिली थी नहीं तो अभी तक अस्पताल में पत्रकारों का जमावड़ा होता।

मानव तस्करों से बरामद लड़कियां अस्पताल के तीसरे फ्लोर पर थी लेकिन उन बच्चियों में इला नहीं थी। इला को वहाँ बैठी पाकर दीपा की आंखो से ख़ुशी के आँसू बह निकले। इला दौड़ कर दीपा के गले से लग गई, दोनों माँ बेटी की आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे।

"आप अपनी बेटी की तरफ ध्यान दें, मैं देखता हूँ सब इंस्पैक्टर राहुल की क्या हालत है........" कहते हुए इंस्पैक्टर गरुड़ आई सी यू की तरफ बढ़ गया जहाँ सब इंस्पैक्टर राहुल एडमिट था।

कुछ देर बाद इंस्पैक्टर गरुड़ आई सी यू से बाहर आया उसका चेहरा उदास था वो दीपा से बोला, "अब आप अपने घर जाएं, सब इंस्पैक्टर राहुल की हालत ठीक नहीं है। जो मानव तस्कर सब इंस्पैक्टर राहुल को घायल करके एक ट्रक में भाग निकले है उस मैं उनकी तलाश में जा रहा हूँ........"

घर आते ही थकी हुई परेशान इला सो गई। रात नो बजे की न्यूज में दीपा ने देखा कि जिले के पुलिस कप्तान ने सब इंस्पैक्टर राहुल के शहीद हो जाने की घोषणा की, टी वी में मृतक सब इंस्पैक्टर राहुल की फोटो भी दिखाई जा रही थी; फोटो एक खूबसूरत नौजवान का था जो उसके जीवन की रौशनी उसकी सनशाइन इला को बचाते हुए शहीद हो चुका था। दीपा ने सोती हुई इला की तरफ देखा तो उसकी आँखों से बहते आँसू इला का चेहरा धुंधला करने लगे।



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