अहंकार
अहंकार
शशि जिस बैंक में ऑफिसर पद पर कार्यरत थी उसमें ही उसका पति गौरव उससे नीचे पद पर अकाउंट सेक्शन मे कार्य करता था। पति से ऊंचे पद में कार्य करने पर शशि को बहुत घमंड था और उसके मन में "मैं "के अलावा कुछ नहीं था। धीरे-धीरे घर का वातावरण भी शशि का अधिकारी जैसे गौरव पर हावी होने लगा।उसका व्यवहार एक पत्नी की तरह ना होकर अहंकारी पत्नी के समान होने लगा। गौरव घर में माता-पिता बच्चों की जिम्मेदारी के साथ उसकी मीटिंग और ऑडिट सब की तैयारी करता पर श्रेय हमेशा शशि अपना ले जाती । उसकी जबान में "मैं" के अलावा कुछ नहीं रहता ।हमेशा यही कहती कि मैंने किया है मेरे बल पर हुआ है। "मैं " शशि पर इस तरह हावी होने लगा कि धीरे-धीरे पारिवारिक रिश्ते टूटने लगे। अंत में गौरव से भी उसका रिश्ता अलग होने जैसा हो गया।
और शशि अकेले घर में रह गई। थोड़े दिनों बाद शशि एक बैंक घोटाले में फस गई। अपने अहंकार के कारण उसने किसी से न तो मदद ली ना किसी को उसने यह बताया। ऑफिस में भी शशि के व्यवहार के कारण कोई उसका साथ देने को तैयार नहीं था। गौरव भी उसी के ऑफिस में था इसलिए गौरव ने सब जांच पड़ताल करके कागजात तैयार करें और शशि पर लगे आरोपों को गलत साबित करके घोटाले से बरी करवा दिया।
जब सबने गौरव से पूछा कि वह अब शशि के साथ भी नहीं रहता फिर उन्होंने यह सब कैसे किया। तब गौरव ने जवाब दिया अहंकार ने रिश्ते को तोड़ा है। पर पति पत्नी के विश्वास को नहीं। और शशि मेरी अफसर है मैं उसकी योग्यता को अच्छी तरह से जानता हूं उनके सारे ऑफिस के काम मै ही देखता हूं।अगर कहीं गलती हुई है तो वह मुझसे हो सकती है पर शशि से नहीं।
शशि की गर्दन झुकी थी उसे अपने अहंकार पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। जब गौरव ने शशि से पूछा अब तो तुम पर कोई इल्जाम नहीं है फिर क्यों सर झुकाए खड़ी हो। तुम्हें तो खुश होना चाहिए। तब शशि ने जवाब दिया की गौरव यह सर एक अहंकारी पत्नी का झुका हैं, जिसने अपने "मैं" के कारण अपने परिवार व पति को दूर कर लिया।
