अहमियत

अहमियत

2 mins
495


मोहिनी जब से शादी करके ससुराल आई। सबको अपना बना लिया। सबकी जरूरतो का ध्यान रखती। पहले तो सब कुछ अपने काम कर भी लेते थे। सबकी ख़ुशी को अपना मानती। कहने से पहले चीज हाजिर कर देती। सास को काम करने नहीं दिया तो सासू मां को भी सब बैठे बैठे मिलने लगा।

और मोहिनी बस फिरकी की तरह घुमने लगी। पति को भी छोटे छोटे कामों में  मोहिनी याद आती। पर इस फिरकी को घुमते देख किसी का ध्यान नहीं गया की वो भी थकती होगी। सास ससुर कहते हमारी बहू तो लाखों मेंं एक है। रोहन कहता मेंरी पत्नी तो सबका ध्यान रखतीं हैं। मेंरे माता पिता, भाई बहन का,बच्चों का।

और बच्चों को भी बिना कहे सब सब मिलता स्वादिष्ट नाश्ता, मालिश, स्कूल के काम मेंं मदद पर कहीं ना कहीं जरूरतें पूरी करते करते वो अपने को भूल गयी। अपना मन का खाना, तीज त्यौहारो मेंं अठखेलियां करना। सहेलियों के साथ हंसना वो" एक अनार और सौ बीमार"वाली कहावत सही बैठती। मोहिनी मायके भी जाती जो उसी शहर मेंं था।

तो एक दिन को वो भी सबकुछ बना कर जाती किसी को दिक्कत ना हो। उससे ज्यादा कैसे रहें? घर का काम सब मोहिनी पर था। पर मन मेंं सोचती काश दूर होता तो कुछ रहने को तो मिलता। 

आज अचानक कमजोरी में चक्कर आने से गिर गई। पता चला पेनक्रियाज मेंं इंफेक्शन हुआ। सही से ना खाना खाने से।

हास्पिटल एडमिट कराया गया। अब आफत आई कि अब घर कैसे चलेगा ? मोहिनी ने आदत जो बिगाड़ दी थी प्यार देखभाल में। सब बहुत दुखी हुए की, केवल "तारिफ "करने से कुछ नहीं होता, सबको उसका भी ध्यान रखना चाहिए था। सबको अपने काम खुद करने चाहिए थे। 

या उसकी मदद करनी चाहिए थी। सब अपनी गलती समझ चुके थे। मोहिनी के सही होकर घर आने पर घर का माहौल बदल गया था। सास सब्जी काटना, जैसे काम करने लगी।

रोहन खुद कपड़े लेना पानी लेना, छोटे काम करने लगा था। बच्चे भी खाना खिलाने में मोहिनी की मदद, अपने काम करने लगे थे। ससुर भी अपने आप पानी लेना, खाने की प्लेट रसोई मेंं रखना, दवाई समय पर अपने आप लेना। सबको मोहिनी की अहमियत पता चली जब सबको थोड़े बहुत भी काम करने पड़े।

मोहिनी देखती रह गयी इतना कुछ बदल गया। सब हँसकर बोले अब एक अनार सौ बीमार नहीं रहे मोहिनी। तेरे बीमार होने से तेरी बीमारी तो सही हुई ही और सब की आलस करने की बीमारी भी सही हो गई। सब सुधर गये। और मोहिनी मुस्कुरा उठी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama