minni mishra

Inspirational

3  

minni mishra

Inspirational

अहम्

अहम्

2 mins
227



आकाश को गये पाँच दिन हो गये। एक-दो दिन मुझे अकेलेपन का कोई खास अहसास नहीं हुआ । सब कुछ अपनी मनमर्जी से बीता । पर, आज तो सवेरे से ही मन बेचैन था। कभी टीवी खोलती, कभी खिड़की के पास खड़ी होती, तो कभी वार्डरॉब में कपड़ों को निहारती ।

 हर जगह आकाश की यादें पीछा कर रही थीं। आकाश को भी न जाने क्या हो गया ! अभी भी गुस्से में है या अहम् में ! जाने के बाद एक बार भी हाल-चाल तक नहीं पूछा। माना, गुस्से में पति-पत्नी के बीच कुछ बातें हो जाती हैं, इसका मतलब ये तो नहीं कि घर छोड़कर ही चले जाएँ?

 हाँ, मुझे भी आकाश से इतनी बहस नहीं करनी चाहिए थी। काश! मैं ही चुप रह जाती तो बात आगे नहीं बढ़ती! पहले तो कभी ऐसा नहीं होता था। अगर कोई बात पसंद नहीं भी आती, तो न ये इतना रियेक्ट करते, और न मैं। जब से घर में सुख-सुविधा अधिक बढ़ने लगी, तभी से घर में टेंशन पाँव पसारने लगी है और खटपट शुरू हो गई। 

मैं मन ही मन सोचने लगी, 'जो हुआ सो हुआ। दिल कोई मिट्टी का खिलौना तो नहीं! पति-पत्नी में नाराजगी कैसी! अच्छा, अभी आकाश को फोन करके देखती हूँ।' 

“हेलो”। आकाश की आवाज सुनते ही मेरे पूरे शरीर में कँपकँपी सी हो गई। 

मैंने धीरे से पूछा, “कैसे हो?”

 “ठीक हूँ।” संक्षिप्त सा जवाब देकर वो फिर चुप हो गये। 

मैंने फिर उनको टटोलने की कोशिश की, ”चाय पी ली क्या?” 

“नहीं, मैंने चाय पीना छोड़ दिया।“

 “तबीयत तो ठीक है ..?” मैंने घबराकर पूछा। 

“चाय बनाता हूँ...कभी चीनी अधिक, कभी चायपत्ती कम।” सुनते ही आकाश की पुरानी बातें- 'सवेरे की चाय तुम्हारे हाथों से ही अच्छी लगती है... बनाने से पिलाने तक का अंदाज ही अलग।' कानों में गूंजने लगी।

 “कल से मैंने भी कई बार सोचा, तुमसे बात करूँ, पर.. वो...!" आकाश ने अटकते हुए ऐसा कहा । 

कुछ पल के लिए खामोशी दृष्टा बनकर दोनों के हृदय के बढ़ते स्पंदन को महसूस कर रही थी। लेकिन , आकाश का पति होने का दंभ अभी भी पत्नी के आगे झुकने को तैयार नहीं था। 

छलकते आंसुओं को पलकों पर समेटते हुए और स्वाभिमान पर अंकुश लगा कर मैंने आहिस्ते से कहा, “आकाश, जब प्यार का पलड़ा अहम् से भारी लगने लगे, तो घर लौट जाना, तुम्हारी बहुत याद आती है। ” 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational