manisha sinha

Tragedy

5.0  

manisha sinha

Tragedy

अधिकार

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मीरा बहुत ग़ुस्से से भरी थी। कल रात जब डाक्टर ने कहा, कि आपके बच्चे को बचाया जा सकता था अगर से यहाँ समय पर लाया जाता।

कल मीर के बेटे रोहण का जन्मदिन था। हर तरफ़ चहल पहल थी। रोहण अपने जन्मदिन की तैयारी कई दिनों से कर रहा था, आख़िर उसका ५ वाँ जन्मदिन दिन था। पहली बार वो अपनी मर्ज़ी से अपने लिए कपड़े और खिलौनों की ख़रीदारी कर रहा था।

मीरा ने भी रोहण के जन्मदिन की तैयारी में किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ी थी। रोहण के पिता की आकस्मिक मृत्यु के बाद अकेले ही पाला था मीरा ने रोहण को। लेकिन कभी उसकी परवरिश में कोई कमी नहीं आने दी थी। मीरा और रोहण की अपनी एक छोटी सी दुनिया थी, जिसमें वो काफ़ी खुश थे।

आख़िर कर वह दिन आ गया, जिसका रोहण को बेसब्री से इंतज़ार था। सुबह से ही बहुत खुश था, रोहण। शाम में उसके सारे दोस्त आने वाले थे। मीरा भी सुबह से ही खाने पीने की तैयारी में लग गई थी। सारा काम उसे अकेले ही करना था, लेकिन वह कोई कमी नहीं करना चाहती थी। रोहण के अलावा और था ही कौन उसका।

शाम को तय समय पर सभी मेहमान एक एक कर आने शुरू हुए। सभी बहुत ख़ुश थे। मीरा ने बहुत अच्छा इंतज़ाम किया था।

रोहण की तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। दोस्त, उपहार, और क्या चाहिए था उसे अपने जन्मदिन पर।

मीरा मेहमान नवाज़ी में पूरी तरह व्यस्त थी, तभी रोहण में कहा, माँ मैं अपने दोस्तों के साथ अपने कमरे में खेलने जा रहा।

मीरा के मना करने के बावजूद कि, अभी केक काट कर चले जाना वह अपने दोस्तों के साथ उपर चला गया ।

मीरा उसे रोकती रह गई मगर वह नहीं माना।

मीरा भी फिर लोगों के साथ व्यस्त हो गई। थोड़ी देर में एक लड़का भागता हुआ मीरा के पास आया और बोला कि रोहण बालकनी से नीचे गिर गया है।

मीरा की तो जैसे जान ही निकल गई। वह भागती हुई बाहर की ओर गई। रोहण खून में लथपथ नीचे पड़ा था। किसी ने तुरंत एम्बुलेंस को बुला लिया।

भारी ट्रैफ़िक की वजह से एम्बुलेंस को पहुँचने में थोड़ी देर हो गई।

फिर जैसे तैसे रोहण को उसमें लिटा अस्पताल लाया जा रहा था कि फिर एक जगह एम्बुलेंस VIP लोगों की गाड़ी की वजह से १० मिनट खड़ी रही।

मीरा छटपटा रही थी कि कैसे वह अस्पताल पहुँचे ।

मगर इतने रूकावटों के बावजूद जब मीरा अस्पताल पहुँची तो डाक्टर ने रोहण को देखते ही कह किया कि से मर चुका है।

मीरा को तो जैसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था। बड़ी मुश्किल से वह होश में आई।

मगर उसने अपने आँसू पोंछे और रोहण की शरीर को लेकर सड़क पर बैठ गई। थोड़ी देर में वहाँ लोगों और पत्रकारों की भीड़ जमा हो गई...और वह बार बार यही सवाल कर रही थी कौन है इसकी मौत का ज़िम्मेदार...क्या लाल बत्ती लगी है गाड़ी में तो वह कुछ भी करने का हक़ दे देता है लोगों को। सवाल कई थे...मगर जवाब नहीं था।


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