Dharinee Babariya

Horror Tragedy Others

3.4  

Dharinee Babariya

Horror Tragedy Others

अच्छा भूत

अच्छा भूत

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कुफरी में स्कीइंग का लुफ्त उठाने और पूरा दिन मौज मस्ती करने के पश्चात कुमार, कामना, प्रशान्त और पायल शाम को शिमला की ओर बीएमडब्लू में जा रहे थे।,

 सर्दियों के दिन, जनवरी का महीना, शाम के छ: बजे ही गहरी रात हो गई थी।

 गोल घुमावदार रास्तों में अंधकार को चीरती, पेड़ों के झुरमुट के बीच कार चलती जा रही थी।

 सैलानी ही इस समय सड़कों पर कार चलाते नजर आ रहे थे। टूरिस्ट टैक्सियां भी वापिस शिमला जा रही थी।

 कुफरी की ओर इक्का दुक्का कारें ही जा रही थी। बातों के बीच चारों शिमला की ओर बढ़ रहे थे। लगभग आधा सफर कट गया था

 कार स्टीरियो की तेज आवाज में हंसी ठिठोली करते हुए सफर का आनन्द उठाते हुए समय का पता नहीं चल रहा था।


 झटके मारते हुए कार क्यों चला रहे हो?” प्रशान्त ने झटकती हुई कार में झूलते हुए कुमार से पूछा।

 “प्रशान्त भाई, मैं तो कार ठीक चला रहा हूं, मालूम नहीं, यह अचानक से झटके क्यों खा रही है?” कुमार ने झटके खाती कार को संभालते हुए कहा।

 “कार को थोड़ा साईड करके देख लेते हैं। “हो सकता है, कि डीजल में कचरा आ गया हो, थोड़ी रेस दे कर देखता हूं, कि कार रिदम में आ जाए।

 “ कुमार ने क्लच दबाते हुए कार का ऐक्सीलेटर दबाया, लेकिन कोई खास कामयाबी नहीं मिली, कार झटके खाती हुई रूक गई।

 “अब क्या करें?” चारों के मुख से एक साथ निकला। सभी सोचने लगे, कि काली रात के साए में कुछ भी नजर नहीं आ रहा था,


 सोने पे सुहागा तो धुन्ध ने कर दी थी। धीरे धीरे धुन्ध बढ़ रही थी। ठंडक भी धीमे धीमे बढ़ रही थी। कार सड़क की एक साईड पर खड़ी थी।

 इक्का दुक्का कार, टैक्सी आ जा रही थी। “प्रशान्त बाहर निकल कर मदद मांगनी पड़ेगी। कार में बैठे रहने से कुछ नहीं होगा।

 कार तो हम चारों का चलाना आता है, लेकिन कार के मेकैनिक गिरी में चारों फेल है। शायद कोई कार या टैक्सी से कोई मदद मिल जाए।

 “ कह कर कुमार कार से बाहर निकला। एक ठंडे हवा के तेज झोंके ने स्वागत किया। शरीर में झुरझुरी सी फैल गई।

प्रशान्त भी कार से बाहर निकला। पायल और कामना कार के अंदर बैठे रहे। ठंड बहुत अधिक थी


 दिल्ली निवासियों कुमार और प्रशान्त की झुरझुरी निकल रही थी। दोनों की हालात दयनीय होने लगी।

 “थोड़ी देर खड़े रहे तो हमारी कुल्फी बन जाएगी।“ कुमार ने प्रशान्त से कहा।

 “ठीक कह रहे हो, लेकिन कर भी क्या सकते है।“ प्रशान्त ने जैकेट की टोपी को ठीक करते हुए कहा।

“लिफ्ट मांग कर शिमला चलते है, कार को यहीं छोड़ते है। सुबह शिमला से मेकैनिक ले आएंगे।“ कुमार ने सलाह दी।

 “ठीक कहते हो।“ रात का समय था। गाड़ियों की आवाजाही नगण्य थी। काफी देर बाद एक कार आई।


 उनको कार के बारे में कुछ नहीं मालूम था, वैसे भी कार में पांच सवारियां थी। कोई मदद नहीं मिली।

 दो तीन कारें और आई, लेकिन सभी में पूरी सवारियां थी, कोई लिफ्ट न दे सका। एक टैक्सी रूकी।

 ड्राइवर ने कहा, जनाब मारूती, होंडा, टोएटा की कार होती तो देख लेता, यह तो बीएलडब्लू है, मेरे बस की बात नहीं है।

 एक काम कर सकते हो, टैक्सी में एक सीट खाली है, पति, पत्नी कुफरी से लौट कर शिमला जा रहे हैं।


उनसे पूछ तो, तो एक बैठ कर शिमला तक पहुंच जाओगे। वहां से मेकैनिक लेकर ठीक करवा सकते हो। टैक्सी में बैठे पति, पत्नी ने इजाजत दे दी।

 कुमार टैक्सी में बैठ कर शिमला की ओर रवाना हुआ। प्रशान्त कार में बैठ गया। प्रशान्त पायल और कामना बातें करते हे समय व्यतीत कर रहे थे।

 धुन्ध बढ़ती जा रही थी। थोड़ी देर बाद प्रशान्त पेशाब करने के लिए कार से उतरा। कामना, पायल कार में बैठे बोर हो गई थी।,

मौसम का लुत्फ उठाने के लिए दोनों बाहर कार से उतरी। कंपकंपाने वाली ठंड थी।

 “कार में बैठो। बहुत ठंड है। कुल्फी जम जाएगी।“ प्रशान्त ने दोनों से कहा।


 “बस दो मिनट मौसम का लुत्फ लेने दो, फिर कार में बैठते हैं।“ पायल और कामना ने प्रशान्त को कहा। “भुतिया माहौल है। कार में बैठते है।“ प्रशान्त ने कहा।

 प्रशान्त की बात सुन कर पायल खिलखिला कर हंस दी। “भुतिया माहौल नहीं, मुझे तो फिल्मी माहौल लग रहा है।

 किसी भी फिल्म की शूटिंग के लिए परफेक्ट लोकेशन है। काली अंधेरी रात, धुन्ध के साथ सुनसान पहाड़ी सड़क।

 हीरो, हीरोइन का रोमांटिक मूड, सेनसुएस सौंग। कौन सा गीत याद आ रहा है।“


 “तुम दोनों गाओ। मेरा रोमांटिक पार्टनर तो मेकैनिक लेने गया है।“ कामना ने ठंडी आह भर कर कहा।

 तीनों हंस पडे। तीनों अपनी बातों में मस्त थे। उनको मालूम ही नहीं पड़ा, कि कोई उन के पास आया है।

 एक शख्स जिसने केवल टीशर्ट, पैंट पहनी हुई थी, प्रशान्त के पास आ कर बोला “आपके पास क्या माचिस है?”

 इतना सुन कर तीनों चौंक गए। जहां तीनों ठंड में कांप रहे थे, वही वह शख्स केवल टीशर्ट और पैंट पहने खड़ा था, कोई ठंड नहीं लग रही थी उसे।

 प्रशान्त ने उसे ऊपर से नीचे तक गौर से देख कर कहा। “आपको ठंड नहीं लग रही क्या?”

 उसने प्रशान्त के इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया बल्कि बात करने लगा “आप भुतिया माहौल की अभी बातें कर रहे थे।

 क्या आप भूतों में विश्वास करते हैं? क्या आपने कभी भूत देखा है?”


 “नहीं, दिल्ली में रहते है, न तो कभी देखा है और न कभी विश्वास किया है, भूतों पर।“ प्रशान्त ने कह कर पूछा, “क्या आप विश्वास करते है?“

 “हम पहाड़ी आदमी है, हर पहाड़ी भूतों को मानता है। उन का अस्तित्व होता है।“

 उस शख्स की भूतों की बाते सुन कर कामना और पायल से रहा नहीं गया। उनकी उत्सुकता बढ़ गई।,

 “भाई, कुछ बताओ, भूतों के बारे में। फिल्मी माहौल हो रखा है, कुछ बात बताओ।“


 उस शख्स ने कहा “देखिए, हम तो मानते है। आप जैसा कह रहे हैं, कि शहरों में भूत नजर नहीं आते, हो सकता है, नजर नहीं आते होंगे

मगर पहाड़ों में तो हम अक्सर देखते रहते है। “कहां से आते है भूत और कैसे होते हैं, कैसे नजर आते है।“ प्रशान्त ने पूछा।

 उस शख्स के हाथ में सिगरेट थी, वह सिगरेट को हाथों में घुमाता हुआ बोला “भूत हमारे आपके जैसे ही होते हैं। वे रौशनी में नजर नहीं आते है।“

 “होते कौन है भूत, कैसे बनते है?“ पायल ने पूछा। “यहां पहाड़ों के लोगों का मानना है, कि जो अकस्मात किसी दुर्घटना में मौत के शिकार होते है

 या फिर जिनका कत्ल कर दिया जाता है, वे भूत बनते है।“ उस शख्स ने कहा। “क्या वे किसी को नुकसान पहुंचाते है, मारपीट करते हैं?” प्रशान्त ने पूछा।

 “अच्छे भूत किसी को कुछ नुकसान पहुंचाते है। अच्छा मैं चलता हूं। सिगरेट मेरे पास है। आप के पास माचिस है, तो दीजिए, सिगरेट सुलगा लेता हूं।

 “ उस शख्स ने कहा। प्रशान्त ने लाईटर निकाल कर जलाया। उस शख्स ने सिगरेट सुलगाई। लाईटर की रौशनी में सिर्फ सिगरेट नजर आई

 वह शख्स गायब हो गया। लाईटर बंद होते ही वह शख्स नजर आया। तीनों के मुख से एक साथ निकला – भूत।


तीनों, प्रशान्त, पायल और कामना का शरीर अकड़ गया और बेसुध होकर एक दूसरे पर गिर पड़े ।

 अकड़ा शरीर, खुली आंखें लगभग मृत्यु देह के सामान तीनों मूर्च्छित थे। वह शख्स कुछ दूरी पर खड़ा सिगरेट पी रहा था।

 तभी वहां आर्मी का ट्रक गुजरा। उसने ट्रक को रुकने का इशारा किया। ट्रक ड्राइवर उसे देख कर समझ गया, कि वह कौन है।,

 ट्रक से आर्मी के जवान उतरे और तीनों को ट्रक पर डाला और शिमला के अस्पताल में भरती कराया।


कुछ देर बाद कुमार कार मेकैनिक के साथ एक टैक्सी में आया। अकेली कार को देख परेशान हो गया, कि तीनों कहां गये।

 वह शख्स, जो कुछ दूरी पर था, कुमार को बताया, कि ठंड में तीनों की तबीयत खराब हो गई, आर्मी के जवान उन्हें अस्पातल ले गये हैं।,

 कह कर वह शख्स विपरीत दिशा की ओर चल दिया। मेकैनिक ने कार ठीक की और कुछ देर बाद शिमला की ओर रवाना हुए।

 कुमार सीधा अस्पताल गया। डाक्टर से बात की। डाक्टर ने कहा कि तीनों को सदमा लगा है। वैसे घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है

 लेकिन सदमे से उभरने में समय लगेगा। कुमार को कुछ समझ नहीं आया, कि उन्होंने क्या देखा, कि इतने सदमे में आ गए।

अगली सुबह आर्मी ऑफिसर अस्पताल में तीनों को देखने आया। कुमार से कहा – “आई एम कर्नल अरोडा, मेरी यूनिट ने इन तीनों को अस्पातल एडमिट कराया था।“

 कुमार ने पूछा – “मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा, कि अचानक से क्या हो गया?“



 कर्नल अरोड़ा ने कुमार को रात की बात विस्तार से बताई, कि वह शख्स भूत था, जिसे देख कर तीनों सदमे में चले गए और बेसुध हो गए।

 वह एक अच्छा भूत था। अच्छे भूत किसी का नुकसान नहीं करते। उसने तीनों की मदद की। हमारे ट्रक को रोका और कुमार के वापिस आने तक भी रुका रहा।

 शाम तक तीनों को होश आ गया। दो दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिली और सभी दिल्ली वापिस गए, लेकिन सदमे से उभरने में लगभग तीन महीने लग गए।

 आज सात साल बीत गए उस घटना को। चारों कभी भी घूमने रात को नहीं निकलते। नाईट लाईफ बंद कर दी।


घर से ऑफिस और ऑफिस से घर, बस यही रूटीन है उन का। उस घटना को याद करके आज भी उनका बदन ठंडा होने लगता है।


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