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Madhu Kaushal

Inspirational

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Madhu Kaushal

Inspirational

अबॉर्शन

अबॉर्शन

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निकिता प्रसव पीड़ा से गुजर रही थी अस्पताल में सभी मौजूद थे सास-ससुर पति निखिल। डॉक्टर ने कहा कॉम्प्लिकेशंस है ऑपरेशन करना पड़ेगा ठीक है निखिल बोला आप जैसा उचित समझें डॉक्टर ओटी में चली गई यहां आपस में सब की बातचीत शुरू हो गई सास बोली बेटा हो तो अच्छा है निखिल बोला जो भी हो सब स्वस्थ रहें मुंह मत बना लेना अगर बेटी हुई तो ।सास बोली मेरा मुंह बन जाए तो कुछ मत कहना ।डॉक्टर ने आकर कहा बधाई हो जुड़वा बेटियां हुई हैं निखिल दौड़कर ओटी की तरफ गया सास बड़बड़ाने लगी।

एक तो बेटियां हुई है ऊपर से ऑपरेशन पहले ही कहा था अबॉर्शन करवा लो ! ससुर बोले चुप रहो यह वक्त बातें करने का नहीं है निकिता घर आई तो घर में उसे वह उत्साह नहीं दिखाई दिया जो एक बेटे के पैदा होने पर होता है धीरे धीरे दोनों बच्चियां बड़ी होने लगी ।निखिल और निकिता तो खुश रहते ।बच्चियों की बाल सुलभ क्रीड़ाओं को देखते देखते कब वक्त गुजर जाता पता ही नहीं चलता। बच्चियां किशोरावस्था की तरफ बढ़ रही थी और उन्हें यह समझ में आने लगा था की बेटियां होना अच्छी बात नहीं है।

 यदा-कदा रिश्तेदारों द्वारा कटाक्ष किया जाता था निखिल और निकिता को।

घर में भी सासू मां बच्चियों के मोह भरे व्यवहार से खुश रहती पर अंदर ही अंदर दुखी रहती उन्हें बेटा ना होने की टीस होती रहती । दोनों बच्चियों को अच्छी एजुकेशन दी गई एयर फोर्स में दोनों का चयन हो गया दोनों ही बहुत खूबसूरत थी शरीर सौष्ठव में भी अच्छी-अच्छी नायिकाओं को मात देती थी मानसिक स्तर पर भी बहुत प्रबल थी और हम भी कुछ कर सकते हैं ऐसी भावना दोनों में कूट-कूट कर भरी थी ट्रेनिंग के दौरान उन्हें काफ़ी कठिनाइयों से गुजरना पड़ा पर लड़की होने का एहसास उनकी कठिन रास्ते में और रास्ते बनाता चला गया।

आज वह दिन आ गया था जब उनका अंतिम एग्जाम था दोनों ने कुशलता से हवाई जहाज चलाते हुए यह सिद्ध कर दिया था कि लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं है ;अंतर है तो सिर्फ मानसिकता का ।एयरफोर्स पायलट का तमगा पाते हुए सिर गर्व से ऊंचा हो गया था उनका 

अपने कदम बढ़ाते हुए बाहर की तरफ आई तो दादा दादी मम्मी पापा को हाथ फैलाए हुए अपनी ओर आते देखा दादा दादी हाथ फैलाए हुए आगे आ रहे थे गले लगा ने अपनी दोनों बहादुर बेटियों को। मम्मी पापा की चेहरे से लग रहा था जैसे आजकल पांव जमीन पर नहीं पड़ते मेरे ।आजकल दादी मां सबसे हाथ नचा नचा कर अपने पोतियों की तारीफ करती रहती हैं और कहती हैं बेटा बेटी एक समान है बेटियों की कद्र करें शुरुआत घर से ही करनी होगी मानसिकता शुद्ध करनी होगी आखिर एक बेटी में ही तो मां बनने की क्षमता होती है। बेटियां ही ना होंगी तो प्रकृति का चक्र चलेगा कैसे ?

दृष्टि बदलें सृष्टि नहीं। दोनों बेटियों का विवाह समारोह है दोनों ने ही अपने सहकर्मी पायलटों से जीवनसाथी का नाता जोड़ा है लड़की है तो क्या हुआ वे भी आसमां छू सकती है और समय आने पर आसमान झुका भी सकती हैं आखिर नारी निधि की प्रतिनिधि हैं बेटियां।



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