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अभिवादन

अभिवादन

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हाल ही में मोहल्ले में पड़ोस में रहने वाले एक परिवार में बच्चे की बर्थडे पार्टी में सपत्नी जाने का मौका मिला।

मोहल्ले के ही छोटे बड़े कुल मिला कर १२ बच्चे पार्टी में सम्मिलित थे। सभी अच्छी तरह पहचानते थे। सभी अच्छे सभ्रांत परिवारो के और महंगे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे।

हमारे पहुँचने पर मेज़बान परिवार ने गरम जोशी से अभिवादन किया, कुशलक्षेम पूछी और आवभगत करते हुए सादर बिठाया। मेज़बान परिवार के बर्थडे बॉय ने हमेशा की तरह पैर छूकर अभिवादन किया और छोटी बिटिया ने नमस्ते की। हमने भी मेज़बान परिवार के सभी को अभिवादन किया।

लेकिन मेहमान १२ बच्चो में से किसी एक ने भी अभिवादन नहीं किया। यह देख कर कुछ क्षोभ हुआ। शायद उन बच्चो को न तो घर में और न ही स्कूल में अभिवादन करने के लिए सिखाया गया था, और ना ही घर से चलते समय ऐसा कोई आदेश दिया गया था की सभी बड़ो को नमस्ते कर लेना, अत: उन बच्चो की क्या गलती।

उस पार्टी में मेजबान परिवार समेत कुल १४ बच्चों से मिले। मेजबान परिवार के २ बच्चे ही अभिवादन संस्कृति से शिक्षित और परिचित थे। बाकी १२ बच्चो उस संस्कृति से अनभिज्ञ थे और न ही इस झंझट में पड़ने वाले थे।

ईश्वर हमारी मदद करे की आज के या आने वाले समय में हम इस तरह की अपेक्षाएँ न करें और उपेक्षाओं की आदत डाल लें।


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