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Shailaja Bhattad

Tragedy

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Shailaja Bhattad

Tragedy

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत

अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत

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"पानी आवश्यकतानुसार दीजिए आवश्यकता से ज्यादा नहीं आवश्यकता से कम भी नहीं। यह तो आपने सुना होगा न।"

 "मैंने ऐसे ही दिया है।"

" फिर फल मीठे क्यों नहीं हुए?  खरपतवार नहीं हटाई थी क्या?"

"शुरूआत में ध्यान से हटाता था, लेकिन बाद में अनजाने ही ध्यान हट गया।"

"समय-समय पर खाद नहीं दी थी क्या?"

 "दी तो थी, पर शायद उचित मात्रा में नहीं।"

 "शायद नहीं! वास्तविकता में आपने आवश्यकता से बहुत कम या नहीं के बराबर दी है।"

" हां आप सही कह रहे हैं, नहीं तो विदेशों में बैठकर हमारे ही बच्चे हमें भूल क्यों जाते?"

 


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