आत्ममन्थन
आत्ममन्थन


बढ़ती आकांक्षाएं, उम्मीदें या विश्वास की कमजोर डोर, वजह चाहे जो भी हो मगर यह सच है कि पिछले एक या डेढ़ दशक से हमारे देश में अवैध संबंध के मामले बहुत बढ़ गए हैं।बचपन हो या जवानी, एक बात तो सत्य है जब इंसान को घर में प्यार नहीं मिलता तो वह प्यार किसी भी रूप का हो, घर से बाहर तलाशता है।
यह उन दिनों की बात है जब सीमा कॉलेज में पढ़ती थी, वहां एक रोहित नाम का लड़का था, दोनों आपस में एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा परंतु यह दौर भी बड़ा नाजुक होता है। इससे पहले कि उनका संबंध आगे बढ़ता, सीमा की शादी उसके माता पिता ने एक अच्छा घर देखकर करवा दी। वह चुपचाप अपने ससुराल चली गई, उसकी शादीशुदा जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए,परन्तु बड़ी कुशलता से उन सब का सामना करती रही और अपना जीवन संतुलित करने की पूरी कोशिश भी करती रही। उसका पति रोहित, ज्यादा मिलनसार नहीं था उसकी सभी आकांक्षाओं को पूरा भी नहीं करता था। ऐसे ही जिंदगी में सभी धूप - छाँव चलती रही।
आजकल रोज रात को सीमा को तरह-तरह की गिटार पर संगीत की धुन सुनाई देती थी और वह उस धुन को सुनने में खो जाती थी।सीमा और रोहित की दूरियाँ बढ़ती जा रही थी। वे दोनों औपचारिक बातें किया करते थे ।तभी एक दिन शाम को जब रोहित अपने ऑफिस से लौटा तो उसने सीमा को कहा, "मेरे बचपन का दोस्त हमारे पड़ोस में आकर बस गया है वह बहुत बड़ा एक संगीतज्ञ है"। तभी फिर उस धुन की आवाज आई तो रोहित बोला," यह धुन जो तुम सुन रही हो यह मेरा दोस्त बजा रहा है,कल रविवार है तो कल दोपहर का भोजन मेरा दोस्त हमारे साथ करेगा कुछ अच्छा सा बना लेना"। ऐसा कहकर रोहित सो गया परंतु सीमा कुछ अजीब से खयालों में डूब गई फिर वह भी धुन को सुनते सुनते सो गई।
आज सीमा में कुछ अलग उमंग थी उस की मनोदशा भी अजीब थी उस ने पूरा घर सुव्यवस्थित किया और दिन के भोजन बनाने में व्यस्त हो गई रोहित भी जल्दी तैयार हो गया दोपहर करीब 1:30 बजे शुभम घर आया। सीमा भौचककी रह गई! यह क्या उसका अतीत उसके सामने खड़ा था और उधर शुभम भी हैरान रह गया, पर समय की नजाकत देखते हुए वह चुप रहा उसके हाथ में गिटार था आते ही बोला, "माफ करना मैं अपने गिटार को जहां भी जाता हूं साथ लेकर जाता हूं यह मेरा अभिन्न अंग है इसके बिना मैं अधूरा हूं"। तो रोहित बोला," अरे यार कैसी बातें करते हो आओ, अंदर आओ"। फिर हम सब औपचारिकता भरी इधर-उधर की बातें करते रहे फिर सीमा ने हम सबका भोजन परोसा शुभम को भोजन बहुत पसंद आया वह बोला बहुत ही स्वादिष्ट भोजन बना है। फिर खा पीकर जब वह जाने लगा तो रोहित बोला,"अरे यार एक कोई धुन तो बजाओ" जब वह धुन बजाने लगा तो सीमा तो जैसे धुन में खो गई के कुछ मत पूछो,उसके तो दिल के तार छिड़ गए। सीमा अंदर ही अंदर सोच रही थी शुभम को कैसे संगीत की रुचि हो गई परंतु वह
चुप रही रोहित ने शुभम से कहा, "जब तक तुम्हारे माता-पिता नहीं आ जाते तुम्हें कभी भी किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक आ जाना"। इतने दिनो के बाद दोबारा जब शुभम को सीमा ने देखा तो उसके दिल की धड़कन बढ़ गई और वे अपने ख्यालों में खो गई।
अब 15 दिन के लिए रोहित को ऑफिस के किसी काम से देहरादून जाना था। फिर रोहित के जाने के बाद शुभम किसी काम से रोहित के घर आया तब सीमा ने उससे पूछा था कि तुम रोहित को कब से जानते हो, उसने कहा, "रोहित मेरे बचपन का दोस्त है"। फिर शुभम अक्सर सीमा के पास किसी ना किसी बहाने आने लगा फिर तो सीमा और शुभम का अंदर का प्यार फिर से जाग उठा। एक अजीब सा चुंबकीय आकर्षण आपस में बढ़ता गया दोनों को एक दूसरे के साथ बहुत अच्छा लगने लगा परंतु जब सीमा एकांत में होती थी तो सोचती थी यह सब गलत है मैं अब शादीशुदा हूं और रोहित ही मेरे पति हैं और वही अब मेरी आत्मा है।
कैसी जीवन की विडंबना है, सीमा ऐसे दोराहे पर आकर खड़ी हो गई है कि एक तरफ उसका पहला प्यार और दूसरी तरफ उसका धर्म। वह बहुत बेचैन रहने लगी। फिर एक दिन शुभम सीमा के पास आया और बोला," क्या हो गया है तुम्हें"। तो सीमा फिर सब कुछ छोड़ कर उसी के साथ मीठे पल बिताने लग गई, परंतु अभी वह अपनी हद पार करने जा ही रहे थे तो सीमा की अंतरात्मा ने उसको झकझोरा," अरे सीमा यह क्या करने जा रही हो"। फिर वह एकदम उठ गई और बड़े आराम से शुभम से बोली," कृपया करके तुम अब यहां से जाओ यह सब ठीक नहीं है"। सीमा ने अपने ऊपर काबू पाने की पूरी कोशिश करते हुए कहा कि अब मैं तुमसे कभी भी नहीं मिल पाऊंगी ना ही तुम मुझसे मिलने की कोशिश करना। शुभम भी चुपचाप चला गया क्योंकि वह तो अब एक संगीत प्रेमी हो गया था।
शुभम के जाने के बाद सीमा के अंदर आत्म - मंथन चलने लगा। सीमा ने अपने मन को शांत करते हुए अपने आप को समझाया किअवैध संबंध ठीक नहीं है।फिर उसे जब भी वह लम्हे याद आते थे तो वह मन ही मन उन पलों को याद करके रोमांचित हो जाती थी। किसी ने सच ही कहा है पहला प्यार कभी भुलाया नहीं जा सकता। उस दिन के बाद रात को कभी भी धुन की कोई आवाज नहीं सुनाई दी मानो कि वह आवाज हमेशा के लिए कहीं अंधेरे में विलीन हो गई है। सीमा जैसे लोग जो अपनी गलत इच्छाओं का गला घोटने में सामर्थ्य रखते हो,और वे अपने ही मन का मार्गदर्शक कर सके तो समाज काफी हद तक सुधर जाएगा ।
आजकल यह रिश्ते बनते बिगड़ते क्यों है?कारण कि आजकल की आधुनिक संस्कृति हम अपनाते जा रहे हैं। पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे है।जिसने अपने ऊपर काबू पा लिया तो सोचो उसने जग जीत लिया और बहुत से गलत चीज होने से फिर बच जाती है।
हिन्दी में एक कहावत है :"आत्मसंयम से बड़ा कोई संयम नहीं है"।