achla Nagar

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4.5  

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नई सुबह

नई सुबह

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अरे! यह कैसी आवाज है रात की खामोशी को चीरती हुई एक संगीत की आवाज सुनाई दे रही थी, मैं छटपटाते हुए उसकी यादों में खो गया। उसको आज भी सब पुराना बड़ी अच्छी तरह से याद है।


 बात उन दिनों की है जब हमारी शादी हुई थी और फिर हम हनीमून पर गए थे वहाँ समुद्र के किनारे मानसी गिटार पर अपनी पसंदीदा धुन बजाया करती थी हम लोग 2 महीने की ट्रिप पर मारीशस गए थे 1 दिन समुद्र के किनारे लहरों के पास हम दोनों अठखेलियां कर रहे थे कि अचानक एक लहर आई और मानसी को अपने साथ ले गई और देखते ही देखते मानसी समुद्र की गोद में समा गई बहुत ढूंढा बहुत तलाशा पर कहीं कोई सुराग नहीं मिला। फिर मैं हार कर अपने वतन वापस चला आया।


इस बात को पूरे 20 साल हो गए है उसकी यादों की टोकरी अभी भी मेरे पास ऐसी ही है। आज फिर वही धुन मैंने सुनी है मेरा मन बेचैन हो गया और मैं चुपके से बाहर निकला रात के सन्नाटे में बाहर आकर मैंने देखा कि हमारे जो एक नए पड़ोसी आए हैं उनके कमरे की खिड़की से लाइट जलती हुई बाहर दिखाई दे रही थी, मैं धीरे-धीरे दबे पाँव उस खिड़की की ओर अचानक से बढ़ता चला गया न जाने कौन सा आकर्षण मुझे उस ओर खींचे चला जा रहा था, मैंने बिना किसी आहट के धीरे से उस खिड़की में बाहर से झांकने की कोशिश की तो मैं स्तब्ध रह गया, मेरे पैर घबराकर कांपने लगे और मैं पसीने से लथपथ हो गया। अरे! यह क्या  एक बहुत ही सुंदर गुलाबी जोड़े में एक लड़की बैठी हुई थी और वह गिटार बजा रही थी उसमें वह वही धुन निकाल रही थी जो मेरी मानसी की पसंदीदा धुन थी। मैं बड़ी खामोशी से खिड़की की ओट में खड़ा होकर सुनता रहा जैसे ही धुन बजनी बंद हुई तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी ख्वाब से बाहर आया हूँ फिर मैं दबे पांव अपने घर की ओर चुपचाप चला गया।


 पर मेरी उत्सुकता इतनी बढ़ चुकी थी कि उस रात मैं ठीक से सो नहीं पाया और फिर सवेरा होते ही टकटकी लगाए मैं उसी खिड़की की ओर देखने लगा दूसरे दिन रविवार का दिन था मैं घर पर ही था। फिर मैंने बड़ी हिम्मत करके दोपहर के समय उसका घर खटखटाया, जैसे ही दरवाजा खुला मैं तो आवाक रह गया, अरे! यह क्या मेरे सामने तो मानसी खड़ी है जो बरसों पहले एक हादसे में अपनी जान गवा बैठी थी। मेरे मुंह से निकला, "अरे! तुम", तो वह बोली, "अंकल आप मुझे कैसे जानते हो।" उसने जब मुझे अंकल कहा तो मैंने जरा संभल कर उससे कहा, "अरे कुछ नहीं वैसे ही पूछ रहा था तुम अभी यहाँ नहीं आई हो, तो मैंने सोचा जान पहचान कर लूँ, और पूछूँ आप कहाँ से आए हो और आपके घर में कौन-कौन है।" तब उसने कहा, "मेरी माँ और मैं हूँ, मेरी माँ व्हीलचेयर पर है और उसको कुछ भी अपना पिछला याद नहीं है, मेरा नाम रेशमी है एक हफ्ता पहले ही इस शहर में मेरी नौकरी लगी है।"


 इतना सुनते ही मैंने उससे पूछा, "क्या मैं आपकी माँ से मिल सकता हूँ तो उसने कहा, "हाँ हाँ आइए।" जैसे ही मैं अंदर गया तो मैंने देखा एक बहुत बीमार सी दुबली पतली एक औरत व्हील चेयर पर बैठी थी। अरे! यह क्या यह तो मानसी है। कैसे? फिर मैंने कहा,"क्या आपकी मम्मी का नाम मानसी है?"


 रेशमी ने पूछा, "आप कैसे जानते हैं।" तब मैंने कहा, "अरे वह तो बहुत लंबी कहानी है लेकिन यह तुम बताओ कि इनकी हालत ऐसी क्यूँ है ? तब रेशमी ने बताया कि मेरी माँ तो समुंदर में गिर गई थी पर किसी तरह यह तैरती हुई एकदम किनारे पहुँच गई थी तो लोगों ने सोचा शायद यह अभी जिंदा है तो अस्पताल ले गये, जब अस्पताल ले जाया गया तो वहां डॉक्टर ने कहा कि यह तो जिंदा है, आपको जरा इंतजार करना पड़ेगा।


 फिर जब उनका सब इलाज वगैरह हुआ किसी तरह ठीक हुई, पर माँ की याददाश्त जा चुकी थी। किसी को नहीं पहचानती थी। तब तो मैं भी नहीं थी दुनिया में, तब किसी से मेरे नाना नानी का पता लगा तो उनको उन लोगों ने मेरी मां को सौंप दिया और फिर थोड़े दिन के बाद में मेरा जन्म हुआ।  मेरी शक्ल अपनी माँ से मिलती है।


इतना सुनते ही मैं वहीं कुर्सी पर निढाल सा बैठ गया और मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। फिर जल्दी से रेशमी एक गिलास पानी लेकर आई और उसने बड़े आराम से मुझे पिलाया और पूछा कि अंकल आप ठीक हो, तो मैंने कहा, "बेटा मैं ठीक हूँ, मेरा नाम रोहित है तो रेशमी बोली, "अरे मेरे पापा का नाम भी रोहित है ऐसा मेरे नाना बताया करते थे। मैं ही तेरा बदनसीब पापा हूँ बेटा क्योंकि बरसों पहले एक ऐसी घटना हुई थी हम एक समुद्र के किनारे बैठे थे तो वहाँ किसी हादसे से मानसी समुद्र में गिर गई, और फिर कभी मिली ही नहीं।


 आज 20 बरस हो गए आज तक मैं इसी परेशानियों में था कि न जाने मेरी मानसी कहीं मुझे मिली भी नहीं है और है कहाँ? फिर अपनी बात बीच में ही रोककर रोहित ने कहा कि यह धुन तुमको कैसे पता लगी यह गिटार पर जो तुम बजा रही थी। तो रेशमी ने कहा मेरे नाना जी ने मुझे बताया था कि मेरी मम्मी को गिटार बजाना बहुत अच्छा लगता था। और उन्होंने मुझसे कहा कि तुम दिन रात अपनी मम्मी के सामने यह धुन बजाया करो तो शायद उनको अपना सारा कुछ याद आ जाए, इसलिए मैं हर रात दिन जब भी मुझे समय मिलता है तब मैं इस धुन को बजाती हूँ और फिर वक्त की ऐसी आँधी आई मेरी जिंदगी में, जिसमें मेरे नाना-नानी भी दुनिया से चले गए। मेरे ऊपर सारी जिम्मेदारी मेरी मां की आ गई किसी तरह मेरे नाना जी ने मुझे पढ़ा लिखा दिया था फिर मैं एक नौकरी भी करने लगी हूँ आज तक मैं इसी आशा के साथ जिंदा हूं कि काश मेरी मां को किसी दिन अपनी जिंदगी का सब याद आ जाए। 


आज रोहित की दाढ़ी बढ़ी हुई थी जिससे रेशमी पहचान भी नहीं पाई अपने पापा की शक्ल, तो रेशमी ने कहा, "आप मेरे पापा हैं यह मैं कैसे यकीन कर लूँ" तब रोहित ने कहा कि रुको मैं अभी आता हूँ । रोहित अपने घर गया और एक एल्बम लेकर आया जिसमें मानसी और उसकी फोटो थी तब तो रेशमी बहुत ही खुश हो गई फिर उसने कहा कि आज तो मेरे पापा भी मुझे मिल गए अब तो मेरी मम्मी बिल्कुल ठीक हो जाएगी। वह एकदम से अपनी मां के पास गई और माँ के कान में जोर से बोला कि देखो देखो माँ कौन आया है? पर उसकी मां कुछ नहीं समझ पाई और कहा, कौन आया है? तो उसने कहा देखो मेरे पापा आए हैं। तब रोहित ने मानसी के सामने जाकर उसके दोनों गालों पर हाथ रखकर बोला, "अरे मानसी देखो मुझे पहचानो मैं तुम्हारा रोहित हूँ। फिर तो पता नहीं अचानक क्या हुआ जब मैं उसको अपनी याद दिलाने लगा तो अचानक ही मानसी बेहोश हो गई। मैं और रेशमी दोनों ही घबरा गए एकदम मैंने हॉस्पिटल में फोन करा, वहाँ से एंबुलेंस आई और हम हॉस्पिटल पहुँचे, डॉक्टर ने पूछा रोहित से इनको क्या हुआ था तब रोहित ने अपनी सारी कहानी बता दी, डाक्टर ने कहा ठीक है आप इन्तजार करो हम चेक करते हैं आधे घंटे के बाद जब डॉक्टर ने मानसी का निरीक्षण किया तो उन्होंने कहा, "डरने की कोई बात नहीं है ऐसा हो जाता हैं जब एकदम शौक लगता है अब भगवान से प्रार्थना करो कि अब इनको 24 घंटे तक होश आ जाए तो इनकी याददाश्त फिर वापस आ जाएगी।"


रोहित और रेशमी दोनों बाहर भगवान से प्रार्थना करते रहे देखते-देखते अभी 18 घंटे भी नहीं बीते थे कि अचानक से मानसी को होश आ गया फिर क्या था डॉक्टर ने कहा कि उनको होश आ गया है आप उनसे मिल सकते हैं। रोहित आप सामने जाओ वो आपको 

पहचानेंगी, रोहित मानसी के सामने जब गया तो मानसी ने उसको पहचान लिया और बोली, "अरे रोहित तुमने यह ढाढ़ी कब से रख ली है तब रोहित बोला,"नहीं ऐसा कुछ नहीं है 2 हफ्ते पहले ही बनाई थी याद करो तुम्ही तो कहा करती थी कि तुम दाढ़ी बढ़ा लो तुम बहुत अच्छे लगोगे तुम्हें दाढ़ी बहुत पसंद थी।" डॉ ने रेशमी को कहा अब तुम अंदर जाओ तब रेशमी अंदर गई तो रोहित ने कहा, "देखो हमारी बेटी कितनी बड़ी हो गई है यह बिल्कुल तुम्हारी ही शक्ल पर गयी है।" मानसी बोली, "मेरी बेटी? मेरी बेटी कैसे हो सकती है वह तो अभी जन्मी भी नहीं है।" तब रोहित ने उस दिन की घटना और आज तक के बारे में सब कुछ मानसी को बताया मानसी एकदम हक्की भक्की रह गयी और एकदम से बेहोश हो गई रोहित एकदम भागकर डॉक्टर के पास गया और कहा है, "देखो आप मानसी को क्या हो गया है", तो डॉक्टर ने कहा, "आप घबराओ मत। अभी ठीक हो जाएंगी"। फिर तभी 15 / 20 मिनट में मानसी को होश आ गया तब मानसी ने रेशमी को अपने पास बुला कर प्यार किया और कहा, वाह! आज तो कितना अच्छा दिन है मेरे पास बेटी भी है और रोहित भी है।" फिर तीनों अपने घर आ गए और जब शाम को रोहित ने मानसी से कहा तुम्हें पता है यह रेशमी वही तुम्हारी पसंदीदा धुन गिटार पर बजाती

 है। फिर रेशमी ने वही धुन गिटार पर बजाई तो रोहित ने मानसी को कहा, "अरे हमारे तो वही पुराने दिन आ गए।"



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