मातृ प्रेम
मातृ प्रेम
एक समय की बात है कि मोहन की मां बहुत बीमार रहती थी, उसको रात को नींद नहीं आती थी चार महीने हो गए थे इसी तरह से उसकी मां को परेशान होते।एक दिन मां ने ने मोहन को कहा कि एक गिलास पानी ला दे बेटा, मोहन बोला," अभी लाया माँ" लेकिन जब मोहन पानी लेकर आया तो उसकी मां गहरी नींद में सो रही थी यह देखकर तो मोहन बहुत खुश हुआ फिर वही मां के सिरहाने पर खड़ा रहा, न जाने कब मां की पानी की आंख खुल जाए और मैं पानी मांगे पूरी रात ऐसे ही निकल गई पर बेटे को बहुत संतुष्टि थी चलो आज मां को नींद तो आई।
जब मां की सवेरे आंख खुली तो उसने मोहन को अपने सिरहाने पानी का गिलास लिए खड़ा देखा तो बेटे ने कहा कि मुझे लगा न जाने आपकी कब नींद खुल जाए और आप को प्यास लग रही थी आप पानी पीना चाहो और मैं सो जाता फिर आपको पानी कौन देता, पर मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई मुझे बहुत ही खुशी हुई कि चलो आज आपको नींद तो आ गई।
वाह रे ऐसी मातृ भक्ति कहीं नहीं देखी, मां का दर्जा तो भगवान से भी बड़ा होता है जिसके घर में मां है तो सोचो उस घर में भगवान है।