Gautam Kothari

Classics Inspirational

4.0  

Gautam Kothari

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आत्मज्ञान की यात्रा[[ भाग-5]]

आत्मज्ञान की यात्रा[[ भाग-5]]

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यह धर्म ठीक है...

वह ठीक है.......

इसमें वक्त न गंवाओ.....

प्रभु ने कहा है.....

तुम्हारा अपना धर्म तुम्हे लाख बुरा लगे..!


फिर भी वह दुसरों के सुहाने

धरम से करोड़ गुणा बेहतर है...

तु राहों में मत उलझ.....

साधना में लग...

मन की साधना में.....

अपनें ही मार्ग पर.....


अहं त्वां सर्व पापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः.....

ॐ नमो नारायण


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