Gautam Kothari

Inspirational Others

4.3  

Gautam Kothari

Inspirational Others

सरल सा जीवन सार्थक सूत्र

सरल सा जीवन सार्थक सूत्र

4 mins
143



गणेश जी से जो सबसे काम की बात सीखी है हमने ,वह है गणेश परिक्रमा। पता है ना आपको ये कहानी। जब ये तय होना था कि पूजा करते वक्त सबसे पहले किस देवता की पूजा की जाये ,तो सब देवताओं ने अपनी दावेदारी ठोकी।

प्रतियोगिता हुई। आख़िर में जो दो देवता बचे ,दोनों ही महादेव के बेटे थे कार्तिकेय और गणेश। अब ये भी हो सकता है महादेव की निगाहों में चढ़ने के लिये बाकी देवता जानबूझकर हार गये हो।

बहरहाल यह तय किया गया कि इन दोनों में से जो पहले पृथ्वी की तीन परिक्रमायें करके लौट आयेगा वह प्रथम पूजा का अधिकारी होगा। कार्तिकेय तो अपने बड़े पंख वाले फुर्तीले मोर पर बैठ कर फुर्र से उड़ लिए। हृष्ट पुष्ट गणेशजी अपने नन्हे से चूहे पर बैठ कर जाते भी तो कैसे ? जाते ,नियमानुसार कार्यवाही करते तो हारना तय था, सो दिमाग़ लड़ाया उन्होंने।

महादेव ग़ौरी की परिक्रमा की। चरण स्पर्श किये दोनों के और यह घोषित किया कि बाप की परिक्रमा ,पृथ्वी परिक्रमा जैसी ही होती है ,इसलिये तकनीकी रूप से मैं परिक्रमा पूरी कर चुका। लिहाजा मैं जीता हूँ ,भोलेबाबा अपने चतुर पुत्र की तार्किकता से प्रसन्न हुए। मान गये और गणेशजी विजेता घोषित हुए। थके हारे कार्तिकेय जब परिक्रमा कर के लौटे तब तक खेल हो चुका था।

लड्डू खाते मिले उन्हें गणेशजी । पर कार्तिकेय करते भी तो क्या करते ,महादेव राजी थे गणेश जी से ,सो आज भी जब भी पूजा होती है ,पहला तिलक गणेशजी का ही होता है। रही बात कार्तिकेय की तो उन्हें कैलाश से बहुत दूर दक्षिण में पोस्टिंग मिली और वे अब तो वे वहीं बस गये हैं।

सो मुद्दे की बात वो है ,जिससे मैंने अपनी बात शुरू की थी, हमने गणेश जी से यही चतुराई सीखी है। सरकारी काम काज में तो यही रीत है। काम करने टक्करें खाते रहते है। लम्बे लम्बे कानूनी चक्कर खाते रहते है। नियमानुसार काम करने में थक हार कर ,पसीना पसीना होते रहते है। लोगों के उलाहने सुनते सुनते बुढ़ापे में जब लड्डूओं के थाल तक पहुँचते है तो थाल सफ़ाचट मिलता है उसे। वह पाता है कि बड़े साहब की छोटी सी परिक्रमा करने वाले पर्याप्त समय पहले भोग लगा चुके ,और अब थाल धोकर रखना ही शेष है।

गणेश जी ने ही सिखाया हमें कि हमसे बड़े ऐसे लोग ,जिनके पास लड्डूओं के भंडार घर की चाबी है उनसे व्यवहार बनाये रखने में ही समझदारी है। जो गणेश जी की इस सरल सीख की उपेक्षा करते है वो भूखे मरते हैं और किसी बियाबान ,सूखे इलाक़े का निर्वासन झेलते हैं।

गणेश के भक्त है ,इसलिये जानते है हम कि प्रथम पूजा हमेशा ही बड़े साहब की परिक्रमाये करने वाले की ही होना है। हर चतुर सरकारी छोटा साहब अपने बड़े साहब की परिक्रमा करता है ,और रेस जीतता है। बेहतर पोस्टिग पाने का शार्टकट है ये ,जिसे यथासमय यह ज्ञान प्राप्त हो जाता है वह दूसरों को पछाड़ कर हमेशा बढ़िया पोस्टिंग लेता है। वक्त से पहले प्रमोशन पाता है ,रिटायरमेंट के बाद डेपुटेशन पाने का पात्र होता है और जीवन भर आनंदित बना रहता है।

प्रथम पूज्य बने रहने का बड़ा आसान सा नुस्खा है ये। अपने महादेव को ,अपने साहब को राजी रखिए। नियमानुसार लम्बी परिक्रमाये करने का यह बेहतर विकल्प है। चूँकि हमें लड्डू पसंद है और हम थकना नहीं चाहते इसलिये हम हमेशा से यही करते आये है और भविष्य में भी हमेशा यही करते रहेंगे।

जीवन का सार लड्डूओं में ही है। लड्डू मीठा कर देते हैं आदमी को। ऐसे में जिसकी पहुंच हो लड्डूओं तक वो लोकप्रिय होता है। विवेकी, विनोदी और व्यवहार कुशल होने की छवि होती है उसकी। उसे आदरणीय मानना ही होता है सभी को। और जैसा कि हम जानते हैं लड्डू पाने के लिए परिक्रमा में पारंगत होना आवश्यक होता है।

सरकारी बंदा परिक्रमा करता है लड्डू पाने के लिए। खुद करता है और खुद की करने वालो से राजी बना रहता है। लड्डू बाँटते वक्त उन्हें ही प्राथमिकता देता है जो उसकी परिक्रमा कर रहा हो। लड्डू बाँटने वाले का हाथ बहुत लंबा नहीं होता ऐसे में जो पास होता है। जो बार बार पास चला आता है वही पाता है। उसका मुँह लड्डूओं से भरा रहता है हमेशा और उसके दोनों हाथों में लड्डू होते हैं।

गणेश जी मुझ सहित ,हर चतुर सरकारी बाबू आभारी है आपका।आप ये काम का ,सरल सा सूत्र ना बताते तो ज़िंदगी कितनी कठिन होती हमारी।

गणेश जी आपकी जय हो।




Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational