समझे तो रामराम ना समझे सीताराम
समझे तो रामराम ना समझे सीताराम
याद रखना -
यह जो शरीर संघात है न
आँख - नाक - हाथ - पाँव - मुख -
जिह्वा - उपस्थ - पायु - विवेक आदि ।
यह सब उस दयानिधान ने तुमको लीज पर दिया है ।
कौन कितने दिन के लिए मिला है ,
यह हमको - तुमको पता नहीं ।
लेकिन मिला है लीज पर ही ,
मानना न मानना तुम्हारी - हमारी मर्जी ।
विचार कर इसका सदुपयोग कर लो ।
यह शरीर तुम्हारा प्रथम है या अन्तिम ?
सदुपयोग हो गया तो अन्तिम जानना ।
दुरुपयोग हो गया तो प्रथम जानना ।
प्रथम हुआ तो फिर चौरासी का चक्कर ।
अन्तिम हुआ तो चौरासी के चक्कर से मुक्ति ।
ये चौरासी का घनचक्कर बड़ा कठिन है ।
पीस जाओगे इस चौरासी के चक्की में ।
यह चौरासी अंगुल का शरीर
चौरासी पार करने के बाद मिला है ।
एक अंगुल मानव का शरीर एक
लाख योनि पार करने का फल है ।
चौरासी अंगुल का शरीर होता है मनुष्य का ।
बच्चा भी अपने हाथ के माप से साढ़े तीन हाथ का ,
बुड्ढ़ा भी अपने हाथ से साढ़े तीन हाथ का ।
संसार के सभी मनुष्य अपने
हाथ से साढ़े तीन हाथ के होते है ।
7 सात फुट का साढ़े तीन हाथ होता है ,
और 12 इंच का एक फुट ।
अब जोड़ लो 12 सते 84 चौरासी ।
अर्थात् 12 x 7 = 84
समझ गए तो राम राम ,
ना समझे तो सीताराम ।