Sagar Mandal

Inspirational

5.0  

Sagar Mandal

Inspirational

आत्महत्या

आत्महत्या

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माथे मैं पसीना था,पेर काँप रहे थे,आखो मैं आंसू पूरे बदन को भिगा चुकी थी,लड़खड़ाते होंठ ,बंद कमरे मैं बिना रौशनी के हात मैं ज़हर का शीशी लिए सागर सोच रहा था क्या मरने का सबसे आसान तरीका यही है । शर्मीला सा एक लड़का जो कभी अपने प्यार का इज़हार ही नहीं कर पाया ,आज उसकी प्रेमिका के शादी मैं वो क्या कर सकता था । ६ साल की बिना कहि गयी एक तरफ़ा प्यार,साथ मैं घूमना,हसना,दर्द बाटना,जो कभी कुछ बातें वह अपने माँ को भी नहीं बताता वो बोलना उन् चीज़ो को वो केसे भुलाये । नरम दिल,शांत दिमाग का लड़का जो पहले भी परीक्षा के नीतजो को लेकर सुसाईड करने का मन बना चूका था,उसे सहारा मिला था इशिका से अब वो भी नहीं थी । असफलता और जुदाई का गम लिए वो अपनी माँ-बाबा से भी कुछ न कहता । वो सोचता उसको सिर्फ इशिका समझ सकती है । दोस्त भी कभी नहीं बनाया । चारो तरफ बंद दरबाजे थे उसके पास,कुदरत के दिए गए जीवन को वो खुद ख़त्म करने वाला था समस्या से जूझना वो जनता ही नहीं था और किसी को बोलता भी नहीं था,चुप रहने की आदत उसको बचपन से थी । इसी बिच ज़हर शीशी को साइड वाले टेबल मैं रख कर वो खुदसे बोलता है सिर्फ १ दिन,सिर्फ १ दिन अपने माँ-बाबा के सात दिन गुजार लूं उसके बाद मेरा पास इतनी यादे होगी जो मेरे आत्मा को शांति दे सके ।

आज शुक्र बार था सुभे के करीब ७ बज रहे थे सागर पूरी रात भर नहीं सोया था अपने बचपन,के फोटो को माँ-बाबा की फोटो,इशिका और उसकी फोटो को सारा रात भर देखता रहा । आज उसने माँ को आलू के पराठे बनाने बोलै जो उसको बहुत पसंद है । आज वो बहुत खुश दिखने की कोशिश मैं था,बाबा अख़बार पर रहे थे,सागर बाबा को बोलता हे बाबा आज आप मुकेश चाचा को बुलाइये बहुत दिन होगया उनसे बात ही न हो पाया । मुकेश पॉल सगर के पिताजी के बचपन के दोस्त थे,सागर को अपना बेटा जैसा मानते थे ।

सागर के बाबा फ़ोन कर मुकेश को घर मैं बुलाया,सामने ही मुकेश का घर था ज्यादा दूर नहीं था । मुकेश चाचा ने कॉलिंग बेल बजाती ही सागर ने दरबाजा खोला । मुँह मैं हसी लिए सागर बोलता है "केसे है चाचा",मुकेश बोलते है "हां बेटा सब बढ़िया है तुम कैसे हो" ,इस सभाल को सागर टाल कर बोलता है "चाचा अंदर आइये पापा आपका कबसे वेट कर रहे है मम्मी ने आलू के पराठे भी बनाया है आज एक सात खायेंगे सब ।" ब्रेकफास्ट करने के बाद सागर के बाबा और मुकेश ने बैठ कर बातें करना शुरू किया,इसबार सामने सागर भी था । मुकेश सागर के बाबा दोनों बचपन के बातो को लेकर हस रहे थे । इसी बिच मुकेश सागर के बाबा को बोलते है तुझे वो ११ क्लास वाली रागिनी याद है जिसके पीछे तू घूमता था,सागर पापा शर्म से बोलते है कौन रागिनी । मुकेश-मुझे पता था तू ऐसा ही बोले गा बच्चा सामने है इसीलिए,पर ये अभी बच्चा नहीं रहा इसे भी पता होना चाहिए अपने बाप के बारे मैं । तवी सागर बोलता है क्या हुआ था चाचा बताइये ना ।

मुकेश-"तुम्हारे बाप प्यार करता था उससे,शादी करना चाहता था प्रोपोज़ भी किया था पर लड़की ने ना बोल दिया । पूरा रात भर पिया इसने और मुझे दर्द भरी शायरी सुनाता रहा ।"

सागर हस्ते हुए पूछा-"इसके बाद किया हुआ"

"महेश-बोलता तो था शादी नहीं करेगा,फिर तेरी माँ से प्यार होगया इसे,फिर तू होगया,जब किसी के पास इतना कुछ हो तो वो पिछले बातों को लेकर गम क्यूँ करे । अभी तू है तेरी माँ है । यही इसकी ज़िन्दगी हे और इसके माँ-बाबा भी तो थे तब बहुत कुछ था इसके पास ।"

सागर सहमे हुए अपने बाबा से पूछता है-" बाबा आपको याद नहीं आती रागिनी जी की"

सागर के बाबा बोलते है-"देख बेटा ये तकदीर हम जो चाहे हरसमय वही हमको नहीं देती,क्यू की उसके पास कुछ बहुत अच्छा होता है तुझे देने केलिए ।अगर सब कुछ मेरे चाहने के हिसाब से हो तो ज़िन्दगी जीने का मजा क्या रहेगा । समय एक जगह कभी भी अटका नहीं रहता बदल ही जाता है जैसे तेरी माँ आ गयी मेरे जिंदगी मैं,तू आगया तब मुझे और क्या चाहिए था बुढ़ापे का लाठी भी मिल गया था मुझे,अब मुझसे ज्यादा खुश कौन है जिंदगी जीने के लिये जो चाहिए था सब मिला मुझे ।"

ये सुनते ही सागर के आँखों से आँसू निकल गए । वो अपने बाबा को गले से लगा लिया ।

ज़िन्दगी हमें परेशानिया देती है पर इस से ज्यादा वो पल देती है जब हमारी वजह से माँ बाबा खुश हो पाए ,सागर को भी ये पता चल गया था की आत्म्यहत्या ही समस्या का समाधान नहीं है,ऊपर जाके उनको भी तो बोलना है आखिर वो किसके हसी का कारन बना । सागर सोचता था सिर्फ समस्या उसकी ज़िन्दगी मैं ही थे ,खुद के जनरेशन मैं सोशल मीडिया ये सब मैं इतना गुम था अपने माँ बाबा से वो दूर हो गया और एक दिन ऐसा टाइम आया जब उसे लगा कोई नहीं समझेगा उसे ।


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