आपका बुरा आपके साथ रहेगा
आपका बुरा आपके साथ रहेगा
बहुत समय पहले की बात है , एक बार महात्मा बुद्ध एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठे थे। एक दिन, एक क्रोधित व्यक्ति उसके पास आया और उसने उनको जोर -जोर से गालियां देना शुरू कर दिया।क्रोधित व्यक्ति ने सोचा कि गौतम बुद्ध उसी तरह से प्रत्युतर देंगे, लेकिन उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनके चेहरे की अभिव्यक्ति में मामूली सा भी बदलाव नहीं आया था।
अब, वह व्यक्ति और अधिक क्रोधित हो गया। उसने बुद्ध से और अधिक दुर्व्यवहार किया। फिर भी , गौतम बुद्ध पूरी तरह से अविचलित थे। वास्तव में उसके चेहरे पर एक करुणा का भाव नज़र आ रहा था। आखिरकार वह व्यक्ति उनको गालियां देते- देते थक गया । उसने चिल्लाकर पूछा, “मैं तुम्हें इतनी देर से गालियाँ दे रहा हूँ लेकिन आप जरा सा भी क्रोधित नहीं हुए “?
गौतमबुद्ध ने शांति से जवाब दिया, “मेरे प्यारे भाई, मैंने आपसे आपका दिया हुआ एक भी दुर्व्यवहार या गाली को स्वीकार नहीं किया है।”
“लेकिन आपने उन सभी को सुना, है ना?” व्यक्ति ने तर्क दिया। बुद्ध ने कहा, “मुझे किसी भी गाली या दुर्व्यवहार की आवश्यकता नहीं है, तो मुझे उन्हें क्यों सुनना चाहिए?”
अब वह व्यक्ति और भी परेशान था। वह गौतम बुद्ध के इतने शांत जवाब को समझ नहीं सका। उसके हैरान और परेशान चेहरे को देखते हुए बुद्ध ने आगे बताया, “वे सभी गालियाँ और बुरे वचन आपके साथ ही रहते हैं।”
फिर उस व्यक्ति ने कहा, “यह संभव नहीं हो सकता है। मैंने उन सभी को आप पर फेंक दिया है।”
बुद्ध ने शांतिपूर्वक दोबारा जवाब दिया, “लेकिन मैंने तुमसे भी एक भी दुर्व्यवहार स्वीकार नहीं किया है! प्रिय भाई, मान लीजिए कि आप किसी को कुछ सिक्के देते हैं, और यदि वह उन्हें स्वीकार नहीं करता है, तो ये सिक्के किसके साथ रहेंगे?”
व्यक्ति ने जवाब दिया, “अगर मैंने किसी को सिक्के दिए परन्तु उस को सिक्को की आवश्यकता नहीं है, तो स्वाभाविक रूप से वे मेरे पास ही रहेंगे।”
अपने चेहरे पर एक सार्थक मुस्कुराहट के साथ, बुद्ध ने कहा, “अब तुम सही हो। तुम्हारे दुर्व्यवहारों के साथ भी यही हुआ है। तुम यहाँ आए और मेरे साथ दुर्व्यवहार किया, लेकिन मैंने तुमसे एक भी दुर्व्यवहार स्वीकार नहीं किया है। इसलिए, वे सभी गालियाँ केवल तुम्हारे साथ ही रहेंगे । इसलिए तसे नाराज होने का कोई कारण नहीं है। “
वह व्यक्ति निरुत्तर हो गया । वह अपने किये व्यवहार से शर्मिंदा था और बुद्ध से क्षमा याचना करने लगा |
कहानी की सीख: – आंतरिक स्थिरता और शांति ही संतुष्ट जीवन की कुंजी हैं। धैर्य और शांति के साथ अपने क्रोध को नियंत्रित करें। यह बुद्धिमान मनुष्यों की सबसे बड़ी ताकत है।
