rekha shishodia tomar

Horror

5.0  

rekha shishodia tomar

Horror

आओगे ना

आओगे ना

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"भूल जाओ सब कुछ नकुल..जो हो गया सो हो गया..मैं हूं ना तुम्हारे साथ।"

"मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा इतना सब कुछ मेरे साथ।"

"ये दवाई लो और सो जाओ"

आज यहाँ अपने बिस्तर पर लेटा हूं निरुद्देश्य, सामने एक बहुत बड़ा ब्लैक होल है जिसमे ना जाने कितनी भावनाये, कितनी घटनाएँ, गुम हो चुकी है

काश इसमे से सब कुछ निकाल वापस सब चीज़े सब बातें सब घटनाएँ अपनी सही जगह पर रख पाताशुरुआत हुई थी, उत्तरखण्ड की उस जगह से जहाँ एग्जाम के बाद मैं घूमने गया थाएक दोस्त के घर कुछ दुर्घटना होने के कारण रिजल्ट से कुछ समय पहले ही जाना सम्भव हुआवहीं रोहित मेरे बड़े भाई का फोन आया, बी. टेक्. के लास्ट ईयर में मेरी दो सब्जेक्ट में बैक लग गई थीनिराशा में जीवन समाप्त करना चाहता था, अपने दोस्तों से छुप छुपा कर ऊंची पहाड़ी पर खड़े जीवनलीला समाप्त करने वाला था

कानों में माँ बाप के आशा भरे शब्द, भाई के विश्वास से भरी पंक्तियाँ गूँज रही थीं

"तू ही सहारा है नकुल अब इस घर का। भाई मेरे अपाहिज शरीर का बोझ उठाते हुए थक गए है मम्मी पापा अब तो तू ही उन्हें आराम देगा।"

"उफ्फ!! सबकी उम्मीदें तोड़ दी मैंने, क्या शक्ल लेकर जाऊँगा घर, बस मृत्यु ही एक रास्ता है अब।"

खड़ा हुआ कूदने की हिम्मत जुटा रहा था कि तभी खिलखिलाकर किसी लड़की के हँसने की आवाज़ आईमैं हड़बड़ा कर इधर उधर देखने लगा..कोई दिखाई नहीं दिया, शायद मेरी ग़लतफहमी होतभी लगा घुटनो के पास कोई बैठा है, मैं घबराकर पीछे हुआ, खाई में गिरने ही वाला था कि लगा किसी ने पीछे से धक्का दियामैं डर कर वहाँ से भागने की फिराक में था, की एक छोटी सी चट्टान के पीछे से वो निकल कर आई और हँसते हुए बोली "मरने आए थे, तो अब डर कर क्यों भाग रहे हो??"

मैंने कहा "तुम कौन हो?? तुम से मतलब"

"मेरा नाम अनुप्रिया है, तुम अनु बोल सकते हो, आओ इधर बैठो.." उसने मेरा हाथ पकड़ा..लगा जैसे हाथ पकड़ कर भी नहीं पकड़ा हुआ था

मैं कुछ पूछता उससे पहले ही वो बोलने लगी। "तुम्हें चढ़ते हुए देखा था ऊपर, हाव भाव से गड़बड़ लगी तो पीछा किया और मेरी सोच सही निकली"

मैंने पूछा "तुम रहती कहाँ हो ??"

अचानक वो चेहरा कठोर कर,आँखें लाल कर बोली" मेरे घर से तुम्हें क्या लेना देना?? मेरे घर आना चाहते हो??"

मैं हैरानी से चेहरे के बदलते भावों को देख उलझ रहा था, या शायद उसकी जुल्फों में उलझना चाहता था। उसकी एक मुलाकात, एक झलक ने जादू सा कर दिया था। वो जाने क्या क्या बोल रही थी पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। थोड़ी देर बाद अचानक मुझे होश आया, वो कहीं नहीं थी, मैं अजीब सी हालत में उसे ढूंढ रहा था। कुछ देर इंतजार कर मैं वापस होटल चल दिया, जी हाँ मरने का विचार मैं त्याग चुका था।

कल वापस इसी समय आकर मुझे फिर उससे मिलना था, उम्मीद थी वो ज़रूर आएगी।


होटल में सब लोग वापस जाने की तैयारी कर रहे थे, मैं बहाना बनाकर दो दिन और रुक गया क्योंकि उससे ज्यादा रुकने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे।

सब लोग निकल चुके थे, मैं अगले दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। बिस्तर पर लेटे हुए जाह्नवी को याद कर रहा था..मेरी प्रेमिका..बहुत प्यार करता हूं उससे, लेकिन अनुप्रिया से मिलकर अजीब सी फीलिंग आ रहीं है, मतलब प्यार नहीं, पर जाने क्यों बड़ी रहस्मयी सी लगी वो और वही रहस्य जानना था मुझे।

ठीक उसी समय मैं वहाँ पहुँच गया, मैं जाकर खड़ा ही हुआ था कि अनु भागती हुई आई और कसकर मुझे गले लगा लिया। उसकी हालत बहुत खराब थी, कपड़े फटे हुए थे..पूरे शरीर पर चोट के निशान थे। मैं घबरा गया मैंने पूछा "क्या है ये सब'? वो बड़े ही ठंडे स्वर में बोली "मेरा रेप हुआ है, इस छोटे से कस्बे के दबंग चितरंजन के बेटे ने किया है"

मैं बोला "तो तुम पुलिस के पास क्यो नहीं गई?? यहाँ क्यो आई??"

दरअसल मैं आकर्षित था पर किसी झमेले में पड़ना नहीं चाहता था। वो बोली "उससे कुछ नहीं होगा..वो कमीना ही इंस्पेक्टर है..कमिश्नर तक मुझे पहुँचने ही नहीं दिया जाएगा।" मैंने कहा "तो मीडिया में आवाज़ उठाओ"

वो बोली "कोई सबूत नहीं मेरे पास..तुम साथ दोगे इस लड़ाई में"

मैं सकपका गया, ये क्या नया झमेला है।

हकलाते हुए बोला "हम दोनों एक दूसरे को जानते ही कितना है, ऐसे कैसे? मतलब मुझे तुम्हारे बारे में कुछ नहीं पता।"

वो एक व्यंगात्मक हँसी हँसकर बोली "तो यहाँ इस समय किस लालच में आए थे, ये सोचकर कि अकेली लड़की मुझसे मिली तो शायद आज कुछ मजे हो जाए।" मैं रोष भरे शब्दों में उसकी तरफ पीठ करके बोला "बिल्कुल नहीं, तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ मेरी एक प्रेमिका है और हम जल्द ही शादी कर लेंगे।" फिर मैं अचानक कुछ सोच वापस घूम गया।

वो वहां नहीं थी, मैं हैरान था कि रेप होने के बाद वो यही पर क्यो आई?? क्या उसे पता था मैं यहाँ मिलूंगा?? शायद आत्महत्या करने आई हो मेरी तरह।

लेकिन वो रेप के बाद भी इतने सामान्य तरीक़े से बात कैसे कर रही थी?? मेरा सर सोच सोच कर फटने लगा था, अचानक चक्कर आने लगे..खुद को खाई के किनारे पर खड़ा पाया। गिरने ही वाला था कि फिर से एक धक्का लगा और मैं वापस ज़मीन पर। मैं लगभग अर्ध बेहोशी की हालत में अपने कमरे पर पहुँचा।

खाने की भूख मर गई थी, बिस्तर पर धम्म से लेट सुबह की घटना से उबरने की कोशिश कर रहा था।

हल्की सी झपकी लगी थी कि अचानक लगा कोई रेंगता हुआ बिस्तर के पास आया और सिरहाने बैठ सुबकियाँ ले रहा है।


ठंडे माहौल में भी मैं पसीने से लथपथ हो गया था, लाइट जलाकर देखने की हिम्मत ही नहीं हुई फिर भी मोबाइल ले उसकी टॉर्च जला कर धीरे से आसपास देखा। कुछ खास नहीं दिखा.. टार्च बन्द करने ही वाला था अचानक दिखी दो लाल आँखें, फिर से चारों तरफ टार्च घुमाई, इस बार हिम्मत कर लाइट जलाई, कमरे का दरवाज़ा खुला था..पर कैसे मैंने तो बन्द किया था ??

कांपते हुए दरवाज़ा बंद करने को आगे बढ़ा तो बाहर गैलरी में एक साया दिखा, कोई घुटनो के बल बैठा हो..धीरे से झांक कर देखा, लगा साया कहीं छुप गया.. मैं लगभग कांपते हुए पसीने से नहाया हुआ वापस आया ..धीरे से बिस्तर पर लेट गया।

करीब 3 बजे शोर से आँख खुली, मेरे रूम से बाहर की तरफ एक खिड़की खुलती है..पीछे के हिस्से में जहाँ एक छोटा सा बगीचा है..

मुझे समझ नहीं आया ये रात को इस समय किस तरह का शोर पीछे से आ रहा है, खिड़की से कान लगाए तो लगा जैसे 3-4 लोग आपस मे फुसफुसा कर नाक में बात कर रहे है।

धीरे से खिड़की खोली बाहर का नज़ारा देख मेरी चीख निकल गई, 2 लोग एक लड़की से जबरदस्ती कर रहे थे..बाकी के दो लोग वीडियो बना रहे थे,

ये हो क्या रहा है इस राज्य में?? जहाँ देखो यही सब..एक पल को लगा कोशिश करूँ बचाने की लेकिन फिर देखा एक के हाथ मे बड़ा सा चाकू जैसा कुछ था। ध्यान आया वैसे ही बैक लगी हुई है एग्जाम में, इन पंगो में पड़ा तो घर वाले घर से निकाल देंगे..

चुपचाप खिड़की बन्द करने वाला था तभी चारों ने अचानक मुझे पीछे घूम कर देखा और अजीब तरीके से मुस्कुराए और उनमें से एक ने लड़की के चेहरे पर फ़्लैश मारी।

जाह्नवी!!!!मेरी जाह्नवी तुम यहाँ, ये लोग तुम्हारे साथ, मैं खिड़की से कूद कर बाहर आया..वो सब लोग जाने कहाँ ग़ायब हो गए थे..

जाह्नवी घुटनो में सर दिए रो रही थी, मैंने भाग कर उसे गले से लगा लिया और प्रश्नों की बौछार कर दी

"तुम यहाँ?? ये लोग?? क्या हुआ??"

"वो घुटनो में सर दिए हुए बोली "सरप्राइज आई थी..होटल ढूंढते हुए ये लोग मिले.. और मदद के बहाने मुझे "इतना कह वो फफक कर रो पड़ी

मैंने उसे कसकर गले लगाया और बोला "तुम चिंता मत करो इन लोगो को सज़ा ज़रूर मिलेगी..अभी चलो पुलिस में रिपोर्ट करते है।"

वो पागलो की तरह हँसने लगी और बोली" अपनी प्रेमिका के लिए इतनी हिम्मत जुटा ली तुमने मेरे लिए नही..क्यों?? क्या मुझे रेप में इससे कम दुख हुआ ??मेरी आत्मा,मेरा आत्मसम्मान छलनी नहीं हुआ..?

"मेरे शरीर मेरी आत्मा पर भी छिपकलियां रेंगती महसूस हुई मुझे भी, घिन्न आई अपने शरीर से"

"मुझे भी यही लगा मानो पूरे शरीर पर छोटे छोटे कीड़े रेंग रहे हो..मन किया अपनी सारी खाल उतार दूँ ..पर मेरा साथ क्यो नहीं दिया तुमने..मुझे जानते नहीं सिर्फ इसलिए..बोलो?"

जाह्नवी का चेहरा अनु के चेहरे में बदलने लगा, उसने मुझे ज़ोर का धक्का दिया..

आँख खुली तो मैं कमरे से बाहर गैलरी में पड़ा था और कोई साया धड़धड़ाता हुआ ऊपर सीढ़ी पर जाता हुआ दिखा..

मैं गैलरी में ही बैठा रहा..विचारों का बवंडर दिमाग मे हलचल मचा रहा था..

क्या था ये सब?? क्यो हुआ?? अनु..अनुप्रिया कौन है? मुझसे क्या चाहती है..

आज मेरा वापस जाने का दिन था लेकिन मैं कुछ भी बीच में छोड़कर नहीं जाना चाहता था...

अपने दोस्त काविश को फोन कर कुछ पैसों का इंतज़ाम करने को कह मैं चल दिया उसी जगह जहाँ अनु से मिला था पहली बार..

खाई की मुंडेर पर खड़ा मैं अब तक हुई घटनाओं के बारे में सोच रहा था.. तभी गर्दन पर बर्फ से हाथों का अहसास हुआ..मैं तेजी से घूमा..

हल्की सी उभरी चट्टान पर बैठी वो मुझे ही देख रही थी, मैं खड़ा रहा वहीं..वो पास आकर बोली "मुझे पता था तुम आओगे "

मैं चिल्लाते हुए बोला "कौन हो तुम?? क्या चाहती हो?"

उसने बड़े ही शांत भाव से जवाब दिया "बताती हूं मेरा नाम अनुप्रिया है..करीब 6 दिन पहले मेरे साथ बलात्कार हुआ जो इस इलाके के इंस्पेक्टर ने अपने 3 दोस्तों के साथ मिलकर किया।"

"इंस्पेक्टर होने के अलावा उसका पिता की यहाँ एक दबंग छवि है, मैं उसके पिता द्वारा खोले गए अनाथाश्रम में पली बढ़ी हूं..मेरे परिवार में मेरा कोई नहीं"

"मैंने सुना था यहाँ के कमिश्नर बहुत ईमानदार और सख़्त इंसान है लेकिन मेरे पास जो सबूत था वो उन तक पहुँचा नहीं सकती थी..इसलिए रेप के बाद तुम पहले इंसान थे जो यहाँ आए"

"मुझे लगा तुम मेरी मदद कर सकते हो..पर तुम तो।"

"मैं तुम्हारी मदद करूँगा, क्योंकि मैं समझ चुका की जब कोई बुरी घटना अपनों के साथ होती है तो दिल पर क्या बीतती है"

"कल जो मैंने देखा वो बेशक एक सपना था पर अब भी उस सपने को याद कर मेरा दिल किरचों में बिखर जाता है, खून उबाले मारता है..जरूरी तो नहीं की जब हमारी घर की बहू बेटी के साथ ये सब हो तभी हम आवाज़ उठाए।"

"बताओ अनु मुझे क्या करना होगा ??"

"मेरी बात ध्यान से सुनो, जहाँ तुम खड़े थे उससे थोड़ी सी नीचे चट्टानों में एक जगह अंदर की तरफ बनी है अगर तुम किसी एक्सपर्ट की मदद से वहाँ पहुँच सको तो वही झाड़ियो में फंसा हुआ एक फ़ोन है..वो पूरी तरह सुरक्षित है...बस वो फोन तुम कमिश्नर साहब तक पहुँचा दो"

"क्या है उस फोन में??"

"जो उस समय मेरी वीडियो बना रहा था, उसने पूरी घटना के बाद वो फोन टेबल पर रख दिया था..जब वो लोग नशे में चूर बड़बड़ा रहे थे मैं वो फोन लेकर भागी थी, पर कमिश्नर तक नहीं पहुँच पाई"

"क्यो?

"सवाल जवाब बाद में..जल्दी करो"

मैने तुरन्त वहाँ के लोगो की मदद से सब तैयारी की..उन सबको मैंने यहीं बताया कि नीचे मेरा बहुत महंगा फोन गिरा हैं"

मैं धीरे धीरे नीचे उतर रहा था..अनु उसी चट्टान पर बैठी मुस्कुरा रही थी,जैसे ही अनु की बताई जगह पर पहुँचा मैंने फोन ढूंढना शुरू किया..जल्दी ही फोन मिल गया, उसे देख ऐसा लगा जैसे किसी ने बहुत ही सुरक्षित तरीके से इसकी देखभाल की हो।"

अचानक मैंने नीचे देखा..अनु के सूट जैसा कपड़ा नीचे पड़ा था..मैं थोड़ा और नीचे उतरा..किसी की लाश पड़ी थी..,बदबू से सर घूम गया..पूरा शरीर गल चुका था।"

मैंने जल्दी लोगो से ऊपर खिंचने को कहा, ऊपर आने पर देखा अनु वहीं बैठी थी, मेरे हाथ में फोन देख उसके चेहरे पर असीम सुकून के भाव आए..

मैंने सभी लोगो का धन्यवाद किया और उनके जाने के बाद अनु की तरफ घूम कर बोला 'जानती हो नीचे एक लाश पड़ी है..कोई लड़की है..तुम्हारे से मिलता जुलता सूट...

"फिर अचानक से मेरे होठ कंपकपाये..रूह में एक सिहरन सी दौड़ गई और बहुत ही नपे तुले शब्दों मे मैंने कहा "वो..वो..तुम..तुम्हारी.. है..ना..??"

"हाँ वो मेरी लाश है..मुझे तभी पकड़ लिया था उन लोगो ने पर उन्हें नहीं पता था मैं साथ मे फोन लेकर भागी हूं..मुझे बहुत पीटा और मरा जानकर यहाँ से नीचे फेंक दिया..होश आने पर मैंने फोन तो सुरक्षित रख दिया लेकिन तीन दिन तक भारी बारिश के कारण यहाँ कोई नहीं आया।"

"मैं पिटाई के कारण पहले ही बेदम थी, भूख और बहते खून ने मुझे लगभग मार दिया था..मैं चीखती रही शायद कोई आए और मुझे बचा ले"

"धीरे धीरे मेरे प्राणों ने मेरा शरीर छोड़ दिया..और मेरा निर्जीव शरीर नीचे गिर गया,

"तूम सबसे पहले इंसान थे जो उस घटना के बाद यहाँ पर आए"

"लेकिन..लेकिन..मुझ पर कोई विश्वास क्यो"??

"तुम्हें किसी को विश्वास नहीं दिलाना केवल जाकर बोलना..घूमते हुए ये फोन तुम्हें मिला.इसमे कुछ आपत्तिजनक वीडियो है, बाकी काम फिर पुलिस का है कि वो उस वीडियो की जांच पड़ताल कर न्याय करती है या केस को दबा देती है क्योंकि कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई।"

"तुम रिपोर्ट दर्ज नहीं कर सकते क्योंकि कोई नहीं मानेगा जो भी तुम्हारे साथ हुआ।"

इतना कह वो खाई के उसी छोर से नीचे चली गई, लगभग कांपते शरीर के साथ किसी तरह उस इलाके के पुलिस स्टेशन पहुँचा।"

फोन देने के बाद मेरी काफी गहन जाँच पड़ताल हुई..जब उन्हें क्लियर हुआ कि मैं सिर्फ दो तीन दिन के टूर पर आया था और इस वीडियो में दिखने वाले किसी इंसान से मेरा कोई नाता नहीं तो पुलिस ने मेरा फोन नम्बर और पता लेकर मुझे छोड़ दिया।"

उसके बाद मैं घर के लिए निकल गया, ट्रेन की खिड़की पर बैठा बाहर देख रहा था कि लगा, अभी अभी अनु खड़ी थी बाहर मुस्कुरा रही थी।

ईश्वर से प्रार्थना की, कि उसे न्याय मिल जाए और उसकी आत्मा को मुक्ति।

वहाँ से आने के बाद मुझे भयंकर रूप से बुखार हो गया..अपने प्यार जाह्नवी को मैंने सब बताया..आज एक हफ्ता हो गया है। मैं धीरे धीरे इससे उबरने की कोशिश कर रहा हूं।

तभी जाह्नवी आई। "तुम अभी तक नहीं सोए.. चलो सर दबाती हूं..सो जाओ अब।"

मैं धीरे धीरे नींद की आगोश में जाने लगा और ईश्वर से प्रार्थना करने लगा "हे ईश्वर ऐसे घिनौने लोगो से समाज की रक्षा कर, उन्हें उनके किये की सज़ा ज़रूर दिलवानाप्रार्थना "



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