आंखों देखा सच
आंखों देखा सच
"अरे देखो आजकल की औलाद को इतने बुढ़ापे में बुजुर्गों को काम करवाते हैं "और खुद ऐश करते हैं। दुकान पर खड़े हुए एक व्यक्ति ने कहा !!तभी दुकान वाला बोला" नहीं साहब यह तो रिटायर्ड फौजी हैं। सड़क पर गड्ढों के कारण एक एक्सीडेंट में इनका बेटा चल बसा। तब से यह रोड पर जहां भी गड्ढे होते हैं उन्हें भरने के लिए दिन देखते हैं ना रात और चल देते हैं ।अपने रिक्शे और सीमेंट बोरी के साथ।" कहते हैं कि "मेरे घर का चिराग तो बुझ गया कहीं इन गड्ढों के कारण किसी और के घर में अंधेरा ना हो जाए "इसलिए यह खुद निकल पड़ते हैं। सभी इनका बहुत सम्मान करते हैं ।और इन्हें कहते हैं कि"वह इनकी मदद करेंगे "लेकिन यह खुद ही निकल पड़ते हैं। इतना आत्मविश्वास देखकर हर कोई इनको सलाम करता है । उस व्यक्ति ने कहा "कभी-कभी आंखों देखा भी सच नहीं होता"।
