आजा यार प्लीज़
आजा यार प्लीज़
घर एक मन्दिर है , जहाँ सही - गलत होने पर बड़ों से कुछ सुनना पड़ता है ।
और उस पर अगर चिंतन करे तो वो हमारे लिए बेहतर है ।
कभी कभी घर की छोटी बात इतनी बढ़ जाती हैं कि लड़ाई होने लगती हैं।
और कोई सदस्य तनाव से और परेशान होकर घर से दूर चला जाता है ।
कुछ दिनों के लिए लेकिन जब कोई वापिस न लौटकर आए तो सोचो क्या होगा ।
मेरा एक दोस्त है जो ऐसी परिस्थिति का शिकार हुआ।
कुछ नुकसान हो गया और घरवालों ने डांट दिया । मेरे दोस्त का स्वभाव थोड़ा हटके है , वो जिद्दी है और किसी की नहीं सुनता है ।
उसके पापा ने उसे दो दिन तक लताड़ा , वो परेशान हो गया और बिना बताए घर से निकल गया ।
दो दिन तक उसकी कोई ख़बर नहीं थी तो उसके पापा परेशान होने लगे ।
ज़ाहिर सी बात है कि कितना ही डांट ले पापा से बड़ा कोई धीरज वाला इंसान नहीं होता है।
उसके पापा ने मुझे पूछा - मैंने कहा नहीं मेरे पास तो कोई खबर नहीं है ।
उसके पापा परेशान होकर रोने लगे कि कहीं कुछ गलत न कर बैठे ।
मैनें भी हजारों बार कोशिश की , फोन लगाया ।
लेकिन आज दो साल से उसकी कोई ख़बर नहीं है।
मैनें उसे उतना ही करीब से खोया है जितना उसके पापा ने उसे करीब से खोया है ।
ये तो मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि मेरा दोस्त इतना कमजोर नहीं है कि हमेशा के लिए खो जाए।
मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि - कभी भी परेशान होकर ऐसा वैसा मत कर देना कि आपकी वजह से आपकी फैमिली प्रॉब्लम में हो ।