आज फिर जीने की तमन्ना है
आज फिर जीने की तमन्ना है
"कोरोना ने ज़िन्दगी को पूरी तरह से बदल दिया ,लॉक डाउन के शुरुआती दौर में डिप्रेशन ने जैसे ही पैर फैलाना शुरू किया झटक दिया मैंने जोर से ,और अपना ध्यान अपने शौकों को पूरा करने में लगा दिया ,एक तरफ लेखन का और दूसरी तरफ बागवानी फिर तो समय कैसे बीतने लगा पता ही न चला " बोलकर जोर से हंस पड़ी अरुंधति ।
आज बहुत दिन बाद अपने पुराने मित्र आरिफ से फोन पर बात करते उसे लग रहा था ज़िन्दगी फिर से उसके कितने करीब आ गई है ,आज तक तो वह अपने आप से ही खो गई थी ।
"सच में ,यह तो बड़ा सुखद अनुभव है नहीं तो लगता था तुम इन्सान नहीं मशीन बन गई हो ,कभी फोन पर बात करने का वक्त भी नहीं निकाल पाती थीं ।" आरिफ ने कहा ।
"क्या करें यार ज़िन्दगी जीने के लिए और दो वक्त की रोटी, नहीं नहीं सिर्फ दो वक्त की रोटी नहीं बहुत तकाजे हैं ज़िन्दगी के उन सब को पूरा करने में आधी ज़िन्दगी कैसे निकल गई पता ही नहीं चला "आईने के सामने अपने बालों पर चमक आई चांदी को हाथों से सहलाते उसने कहा ।
"क्या आईने के सामने खड़ी हो अपना रूप निहारते " उसने हँसते हुए कहा ।
" तुम्हे कैसे पता चल जाता है सब ,ख्वाहिशें सब दफन हो गई थीं मिस्टर अब फिर से जीने की तमन्ना जाग उठी है , अपने जीवन की बायोपिक लिखूंगी अब ,कितना मजा आ रहा है कुछ न कुछ लिखने और पढ़ने में ,जो जो चाहती थी सब पढ़ लिया इस दौरान ,बहुत समय है मेरे पास ।जब लिखने पढ़ने से थक जाती हूं तो बागवानी का शौक मुझे तरोताज़ा कर देता है सारी टेंशन दूर हो गई है ,एक बीज को रोपित कर जब उसे पौधा बनते देखती हूँ तो लगता है मैंने जन्म दिया है उसे ,तुम्हारा साथ छूटने का गम दूर हो जाता है , तुमने तो घरवालों के प्रेशर में आकर अपनी जाति की लड़की से शादी भी कर ली पर मैं वहीं खड़ी तुम्हारा इंतज़ार करती रह गई पर अब नहीं अब तुम्हें तुम्हारी ज़िन्दगी मुबारक ।"
" अब मेरी ज़िंदगी भी फिर से खूबसूरत हो गई है लगता है ये पेड़ पौधे ,किताबें मेरा सम्पूर्ण संसार हैं ,कितना आनन्द है इसमें जीवन का ,काश तुम मुझे समझ पाते " कहते कहते उसने मोबाइल ऑफ कर दिया ।
उधर से उसकी आवाज आनी बन्द हो गई ,अब उस आवाज से उसका कोई तालुक नहींं ।
"नहींं अब मैं अकेली नहींं मेरे साथी मेरे साथ हैं" पौधों को सहलाते वह मुस्कुरा रही थी ,उसने जीवन का सार पा लिया था लॉक डाउन ने उसे जीने का सहारा दे दिया था ।