"आग का छल्ला"(रिंग ऑफ फायर)
"आग का छल्ला"(रिंग ऑफ फायर)
घर में कुत्ता पालना मुझे बिलकुल पसन्द नहीं है। कुत्तों से इश्क की वजह से कई लोगों को अपने बुजुर्ग का अपमान करते भी देखा है... कुत्तों की तरह झगड़ना मुहावरा भी है जो आजकल नेताओं के कारण जनता-जनता के बीच में फैल भी रहा है... उसे दिखलाना था।
नागरिकता संशोधन अधिनियम के पक्ष/विपक्ष पर युवतियों-महिलाओं में चल रहे गर्मागर्म विचार-विमर्श के साथ चल रही किट्टी पार्टी में पूरी तन्मयता से पप्पी सबके थाली को पवित्रता प्रदान करने में भी लगा हुआ था।
लपलपाती जीभ और एक-एक व्यंजन का स्वाद ग्रहण कर वह दूसरी सजी थाली की ओर बढ़ जाता। इस प्रकार वह कई चक्करों में प्राय सभी थालियों में सजे व्यंजनों का स्वाद ले चुका था...। किन्तु इससे वहाँ उपस्थित किसी सदस्य को कोई अन्तर नहीं पड़ रहा था मेजबान महोदया जिनके यहाँ यह पार्टी चल रही थी ने अपनी थाली में भी पप्पी द्वारा चखे व्यंजनों को नहीं बदला, अपितु प्रफुल्लित होते हुए पप्पी की प्रशंसा करते हुए सारी उपस्थिति को पप्पी की पॉटी के बारे में सगर्व बताने लगी कि एक दिन वह कुछ विलम्ब से घर पहुँची तो पप्पी की समझदारी देखकर अचम्भित रह गई थी बताने लगी कि,–"मेरे प्यारे पप्पी ने सोफे, किचन, बेडरूम को बचा दिया.. मुझे साफ करने में अधिक परेशानी न हो, इसलिए वह वाशिंग मशीन के कोने में जाकर फारिग हुआ..।"
"आपके माता-पिता कब आने वाले हैं..?" श्रीमती सान्याल ने पूछा जो अपनी थाली में अपनी उंगलियों को दोबारा जुम्बिश नहीं दे रही थीं.. हदप्रद हुई जब मेजबान पप्पी के पॉटी के बारे में विस्तार से बता रही थी।
"जब इस पिल्ले को घर के बाहर रखने लगेंगी...।" मेजबान की युवा बेटी ने हँसते हुए कहा ।
"जरा आपलोग ही बताइए कि इसे कैसे बाहर रखूँ..,"
"इसी की वजह से तो यहाँ अमेरिका में आपको नागरिकता मिली है! मानों इस देश के नियमानुसार जिस पिल्ले का जन्म यहाँ होता है उसके पालनहार को यहाँ की नागरिकता मिल जाती है।" मेजबान की बात पूरी होने के पहले श्रीमती सान्याल की भन्नाहट ने सारी उपस्थितियों में सन्नाटा बिखरा दिया और
ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन ब-रंजिश
ब हाल-ए-हिज्रा बेचारा दिल है..का शोर गूंजने लगा।