आधुनिक एकलव्य~आशी गौड़
आधुनिक एकलव्य~आशी गौड़
Indian Idol का 12वां संस्करण आज से शुरु हुआ। वही उत्साह और वही खुशी का अनुभव जो हर वर्ष हर संस्करण में होता है – निर्णायकों को, प्रतिभागियों को और हम सभी को। किसी भी “show” में यही तीनों तो होते हैं ना। मेरी तरह जो केवल इतना ही सोचते होंगे उन्हें आज का कार्यक्रम निश्चय ही कुछ सिखा गया होगा।
कार्यक्रम के मध्य में एक ऐसे प्रतिभागी का प्रवेश हुआ जिस के बारे में कभी शायद ही कोई सोच पाये, कल्पना कर पाये। “युवराज” – सेटिंग दादा की टीम का एक हिस्सा – ऐसी टीम का हिस्सा जो मंच सज्जा और साफ सफाई करते हैं।
गीत, आवाज़ और भाव सब बहुत अच्छा लगा सुनने में। लेकिन जो सबसे अच्छा लगा, मन छू गया और जो कुछ सीखा गया वो प्रतिभागी युवराज का सीखने का जज़्बा।
युवराज से “अगर हम सीखना चाहे” तो सीख सकते हैं कि हमें सीखने के लिए सबसे ज़्यादा जो चाहिए वो ये है कि हम में एकलव्य या अर्जुन जैसी लगन होनी चाहिए। दोनों के गुरु एक ही थे पर अर्जुन को गुरु द्रोण ने सिखाया और एकलव्य को गुरु द्रोण ने नहीं सिखाया। पर दोनों ने ही सीखा।
युवराज ने भी एकलव्य की तरह ही सीखा। हालातों से हारा होगा बहुत बार। भारी बोझिल दिनों से थका भी होगा पर जब भी वो मंच पर अपने कार्य स्थान पर था तब उसने सिर्फ सीखने पर ध्यान दिया। निर्णायकों ने जब भी दूसरों को कुछ भी सिखाया तब युवराज ने ने भी सिखा। यहीं हमें सीखना है । हमारा ध्यान सीखने पर होना चाहिए। जब, जो, जहाँ से, जैसे भी और जितना भी सीखने को मिले सीख लो। कोई भी सीखने और सिखाने वाला निम्न श्रेणी का हो ही नहीं सकता। वो या तो गुरु होगा या शिष्य। जिस दिन हम ये सीख जायेंगे, सीखने की प्रक्रिया और उसमें लगने वाला समय हमें बोझ नहीं लगेगा।
यह महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाने के लिए बहुत आभार युवराज का और आने वाले सुनहरे भविष्य के लिये बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ।