आ बैल मुझे मार
आ बैल मुझे मार
चार सखियां चारों ही प्यारी,
शरीर सौष्ठव में एक दूसरे पर भारी
ज्ञान , बुद्धि और सुंदरता में
कोई नहीं था उनका सानी।
चारों ने आज हिलमिलकर
जंगल घूमने की ठानी।
लोगों ने बहुतेरा समझाया
कोई उन्हें ना समझा पाया
अनजान राह पर मस्ती में
अपना नादान कदम बढ़ाया
घने जंगल में अपने को
जानवरों से घिरा पाया
उनसे बचे तो अनाड़ियों ने
जानवरों से भी बदतर
आदमियों से घिरा पाया,
अभिनय से उनको उलझाया
नई तकनीक से थाने पहुंचाया
घरवालों ने उनको धमकाया
हमने तुम्हें कितना समझाया
आ बैल मुझे मार कहकर
तुमने आफत को बुलाया
दूसरे के अनुभव का लाभ उठाना
सोच समझकर आगे कदम बढ़ाना।
