कज़ाक लोककथा अनुवाद : आ. चारुमति रामदास कज़ाक लोककथा अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
हर नयी चीज़ को भली भांति जांचने के बाद की कदम बढ़ाना चाहिए। हर नयी चीज़ को भली भांति जांचने के बाद की कदम बढ़ाना चाहिए।
हर स्त्री प्रताड़ित है कहीं ओहदे से,कहीं गुरुर से,कहीं जिम्मेदारियो से,कहीं धर्म संस्कार की आड़ से,क... हर स्त्री प्रताड़ित है कहीं ओहदे से,कहीं गुरुर से,कहीं जिम्मेदारियो से,कहीं धर्म...
दुनिया बराबरी वाली दुनिया बराबरी वाली
अपनी नकारात्मक सोच पर अफसोस हुआ अपनी नकारात्मक सोच पर अफसोस हुआ
जो रिश्ते समय के अभाव में सूख रहे थे वो कुछ पल के छींटों से फिर जीवित होने लगे। जो रिश्ते समय के अभाव में सूख रहे थे वो कुछ पल के छींटों से फिर जीवित होने लगे।