आ बैल मुझे मार

आ बैल मुझे मार

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"सुनो जी कचरे वाली आई है,कचरा निकाल दो बाहर।" राजीव जी ने अपनी पत्नी से कहा।

"अरे इतनी सुबह, रहने दो बाद में कामवाली सामने फेंक आएगी।"

"जब रोज आ रही है कचरे की गाड़ी तो दे दिया करो न भई, कितना समय लगता है, आखिर कचरा बाहर करने में " राजीव जी थोड़ा झल्लाहट भरे स्वर में बोले, पर पत्नी ने ध्यान नहीं दिया।

दरअसल उनकी पत्नी निशा की आदत थी जब सारा काम निपट जाता तब आखिर में कचरा घर के सामने खाली प्लॉट में सारा कचरा फेंकवा देतीं।

उनकी इस आदत से सभी परेशान थे बरसात में बदबू, फैलती और गाय, कुत्ते सब सड़को पर फैला देते तो गंदगी सब तरफ मच जाती।

लेकिन निशा को तो ना किसी की बात माननी थी ना मानी उसने, रहने कॉलोनी में आये पर आदतें अच्छी उसने ना अपनाई। रोज की बकझक से परेशान पति ने भी टोकना छोड़ दिया, जब कोई परेशानी होगी तब श्रीमती जी को खुद समझ आ जायेगा। "इन दिनों शहर में डेंगू बड़ा फैल रहा है, बच के रहना मम्मी आप घर का कचरा सामने फेंक बीमारी को आमंत्रण दे रही हो मच्छर पैदा होंगे अब, मौसम भी बदल रहा है।" बेटे रोहित ने अपनी माँ को आगाह किया ।

पर जब सामने वाले को कोई बात समझ आये तब ना। आज सुबह की चाय नहीं मिली राजीव जी थोड़े परेशान हैं वॉक करके भी आ गए पर निशा को आज क्या हुआ उठी ही नही है। "क्या बात है निशा आज चाय नहीं पिलाओगी "क्या कहते हुए राजीव जी ने निशा को आवाज़ दी पर दो तीन आवाजें लगाने के बाद भी उसका उत्तर न पा घबरा गए। निशा आज उठी ही नहीं, उसके माथे पर हाथ रखा तो एकदम गर्म।

"अरे तुम्हें तो बहुत तेज बुखार है ,"बेटे को आवाज़ दी उन्होंने, वह भी घबरा गया। तुरन्त कार निकाली निशा को डॉक्टर के यहाँ लेकर गए। चेक करके डॉक्टर ने कहा" ब्लड टेस्ट करवा लेते हैं" सारे टेस्ट हुए और फिर ज्ञात हुआ कि निशा को डेंगू बुखार हो गया है, कुछ दिन हॉस्पिटल में रहने की सलाह दी गई और ढेर दवाइयों का सिलसिला भी शुरू हो गया।

निशा के पति और बेटे ने उनकी सेवा में अपने ऑफ़िस से छुट्टियां ले दिन रात एक कर दिए, निशा को बहुत पश्चाताप हुआ, क्यो उसने अपने पति बेटे की सलाह नही मानी। आखिर वह स्वयँ ही अपनी पैदा की हुई समस्या से ग्रसित हो गई।

पांच दिन बाद जब वह ठीक होकर आई तब उसने प्रण लिया कि अब कॉलोनी की स्वच्छता, अपने आस पास के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने वह खुद भी आगे आएगी और दूसरों को भी प्रेरित करेगी ।



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