डॉ दिलीप बच्चानी

Abstract

4.0  

डॉ दिलीप बच्चानी

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A टू Z समूह।(लघुकथा)

A टू Z समूह।(लघुकथा)

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A ने D को कॉल किया। 

"अरे!यार मेरे कैसा है मेरे दोस्त?",D ने B को कांफ्रेंस कॉल पर जोड़ा।फिर B ने C को आपस मे अपने गुजरे स्वर्णिम समय की बातों में समय गुजरता गया। 


फिर विचार आया क्यो न हम अपने पुराने कालेज के और भी दोस्तो को जोड़े और सोशल मीडिया पर एक समूह बना ले। दोस्त जुड़े समूह बना। 


फिर?


फिर खटपट शुरू। 

तूने इसे विश् मुझे नही। 

ये भद्दे भद्दे इमोजी लगा कर क्या जताना चाहता है। 

ये तिरँगा लगा कर खुद को देशभक्त समझ रहा है क्या। 

एडमिन बनकर ज्यादा अकड़ मत दिखा। 

एक लेफ्ट,फिर दूसरा लेफ्ट,फिर तीसरा। 

आखिर में बचे ABCD

अब इस सोशल मीडिया समुह की जरूरत ही क्या है

हम चारो यू भी फोन पर घण्टो बात कर लेते हैं। 


निर्णय


समूह विसर्जन। 




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