२०२० - मेरा शुक्रिया
२०२० - मेरा शुक्रिया
2020 एक ऐसा साल, जिसे मैं तो क्या पूरी दुनिया हमेशा याद रखेगी। यह साल अपने आप में इतना अनोखा और अद्भुत है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। हम तो हॉलीवुड की फिल्मों में देखते थे कि एक वायरस का आक्रमण हुआ, पूरी दुनिया घरों में कैद हो गई । कभी सोचा नहीं था कि 1 दिन वह फिल्मी जीवन हमारे जीवन की सच्चाई बन जाएगी। एक ना दिखने वाला जीव, एक वायरस ; वह हमें घर की चारदीवारी में कैद रहने पर मजबूर कर देगा और आप वहां पर सुरक्षित हो या नहीं कह सकते।
मनुष्य को यह गर्व है कि हम प्रकृति की श्रेष्ठ प्राणी है , कोई हमसे जीत नहीं सकता, हम जो चाहे कर सकते हैं पर 2020 ने हमें यह बताया कि हम प्रकृति के सामने कुछ भी नहीं। प्रकृति एक पल में चाहे तो हमें घुटनों पर ला सकती है, हमारा अस्तित्व तक मिटा सकती है ।वस्तुतः बात यह नहीं है कि हम श्रेष्ठ हैं या खुद को श्रेष्ठ मानते हैं , बात यह है कि हमने स्वयं को प्रकृति से भी ऊपर समझ लिया था । 2020 में हमें बताया की प्रकृति सर्वे सर्वा है और जो प्रकृति के अनुरूप नहीं चलता , उसका अस्तित्व संकट में आ जाता है।
सालों बीत गए थे, दिल्ली, एन सी आर, में मैंने नीला आसमान नहीं देखा था । हवा में एक ताजगी , एक ठंडक , जब सांस खींचो ऐसी अनुभूति होती थी कि मानो अंदर कुछ अच्छा गया, एक अमृत सी अनूभूति जो अविस्मरणीय है। बिल्कुल नीला आसमान, मैं अपने मायके जाती थी तो वहां मैं ये नीला आसमान देखती थी , पर यह नीला साफ आसमान और साफ हवा दिल्ली, एन सी आर वालों के लिए दुर्लभ है, पर २०२० ने ये हमें दिया, तो एक शुक्रिया तो कहना बनता है २०२० को, है ना?
पर 2020 को शुक्रिया कहने की सिर्फ यही वजह है मेरे पास? नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है एक व्यक्ति के तौर पर भी 2020 में मुझे बहुत कुछ दिया है। साल की शुरुआत मेरे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रही, पर मुझे खुशी है कि मैंने उन परिस्थितियों का सामना किया। एक बहू ,पत्नी या मां बनकर हम अपनी जिम्मेदारियां निभाते ही है, पर शादी के बाद एक बेटी की जिम्मेदारी निभाना किसी भी स्त्री के लिए आसान नहीं होता । ऐसे में अगर आपको मौका मिले कि आप अपनी बेटी होने की जिम्मेदारी चाहे वह छोटी सी ही क्यूं ना हो , आप निभा सके तो यह जिम्मेदारी आपको कितनी खुशी देती है ; यह खुशी भी मैंने 2020 में ही महसूस की। शुक्रिया 2020 मुझे फिर से बेटी बन कर अपनी जिम्मेदारियां निभाने का मौका देने के लिए।
२०२० में ही अपनी क्षमताओं को मैंने फिर से जाना पहचाना और उन के जरिए मैं खुद से दोबारा मिली।
और सबसे खास वह वजह जिसके लिए 2020 मुझे हमेशा याद रहेगा,; ऐसा इसलिए है क्योंकि इसी साल मैंने दोबारा अपनी कलम अपने हाथों में ली। मेरी डायरी के पन्ने जिन्हें मैं उलटती पलटती थी, उनके कोरे पन्नों पर मैंने फिर से शब्द उतारने शुरू किए।
जब मैंने 2020 में पहली बार सोचा कि मुझे फिर कुछ लिखना है तो मुझे लगा कि जैसे मैं सब भूल चुकी हूं। पर ऐसा नहीं था। डायरी के पन्नों पर कलम रखते ही शब्द जैसे उमड़ कर आने लगे। उन शब्दों ने मुझे ऐसे अपने आलिंगन में लिया जैसे वह मुझसे कभी जुदा थे ही नहीं और वाकई ऐसा ही था। शब्दों से जो मेरा गहरा नाता है, अपनी डायरी से, उनके पन्नों से, अपनी कलम की स्याही से जो मेरा गहरा रिश्ता है, वह रिश्ता हमेशा से था, है, और रहेगा।
उन्होंने कभी भी मेरा साथ नहीं छोड़ा, यह भी मैंने 2020 में ही जाना।
जिंदगी की भाग दौड़ में, जिंदगी की परीक्षाओं में मैं इतना उलझ गई थी कि खुद को भूलने लगी थी ; पर २०२० में जिंदगी की रफ्तार जब धीमी पड़ी तो मैंने खुद से खुद का रिश्ता फिर से पा लिया।
रफ़्तार जिंदगी की जो धीमी पड़ी
खुद से खुद का रिश्ता फिर पा लिया मैंने।"
शुक्रिया २०२० मुझे मुझसे मिलाने के लिए।
