Kumar Vikrant

Crime

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Kumar Vikrant

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१३ दिसंबर

१३ दिसंबर

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वो लगभग ४५ साल की थी, हमेशा की तरह शादी के जोड़े में थी। उसका शादी का जोड़ा अभी चमकदार था लेकिन २५ साल पुराना होने के कारण उसमे कीड़ो के बनाए सुराख़ नजर आने लगे थे।

उसका गोरा रंग अब गेहुआं सा लगने लगा था, आँखों के नीचे काले गड्ढे और चेहरे पर झुर्रिया साफ़ नजर आने लगी थी।

पिछले २५ सालो की तरह आज फिर वो विल सिटी के रेलवे स्टेशन के द्वित्तीय श्रेणी के वेटिंग हॉल की कोने वाली बेंच पर बैठी थी, सबसे अलग-थलग। रात के १० बजते-बजते रेलवे उजाड़ होने लगा था। वोटिंग हॉल में इक्का-दुक्का यात्री वहां पड़ी बेंचो पर चादरे ओढ़े गठरी बने लेटे हुए थे, उस ठिठुरन भरी ठंड में वो सो रहे थे या जाग रहे थे ये कहना मुश्किल था।

"ये पगली कौन है जो इस भयानक ठंडी रात में यहाँ बैठी है?" रेलवे पुलिस के गस्त करते सिपाही ने अपने अफसर से पूछा।

"पुराना किस्सा है त्यागी लोग बताते है २५ साल पहले ये अपने आशिक के साथ ब्याह करने के लिए अपनी शादी के मंडप से उठकर आई थी, उनका ट्रैन में बैठकर कहीं दूर भाग जाने का इरादा था।" अफसर ने जवाब दिया।

"तो भागी क्यों नहीं, यहाँ क्या कर रही है ?"

"ये अपने आशिक के साथ भागती उससे पहले ही इसके बाप और भाई यहाँ आ पहुँचे; उन्होंने उस आशिक को काट डाला था। एक गोली इसके सीने में भी लगी थी लेकिन इसका आशिक मर गया और ये बच गई।

"ये यहाँ शादी का जोड़ा पहनकर क्यों आयी है?" सिपाही ने पूछा।

"पगली है, ऐसे फ़टे पुराने कपडे पहन कर कोई निकलता है इस ठंड के महीने में?" अफसर ने जवाब दिया और दोनों स्टेशन के थाने की तरफ बढ़ गए।

"यहाँ गुंडे-बदमाश भरे पड़े है, किसी ने उसके साथ बदफैली की तो?" सिपाही ने शंका जाहिर की।

"तू रात की गश्त पर है, ध्यान रखना कोई उसे तंग न करे।" कहकर अफसर सोने के लिए अपने चैंबर में चला गया।

आधी रात के बाद 

"आज मुझे प्यार की जबरदस्त तलब है, लेकिन जेब खाली है।" एक आवारागर्द दुसरे से बोला।

"बिना पैसे के काम होगा आज तेरा; देख सामने कौन बैठी है?" दूसरा आवारागर्द बोला। 

"अबे वो बुड्ढी है, पागल है।" पहला बोला।

"प्यार करना है तो उसकी उम्र और शक्ल पर ध्यान मत दे।" दूसरा बोला।

"लेकिन यहाँ तो चारो और लोग है........."

"चिंता मत कर, चल उसके पास चल फिर लाइट गुल होने का इंतजार करते है।"

एक घंटे बाद 

दो मिनट के लिए लाइट गई और लाइट आने के बाद वो औरत और वो दोनों आवारागर्द वहाँ से गायब हो चुके थे।

अगली सुबह 

दुल्हन के कपड़े पहने उस महिला की लाश स्टेशन की पिछली दीवार के पास मिली। उसकी आँखें खुली हुई थी लेकिन उसका अंतहीन इंतजार अब खत्म हो चुका था।


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