ज़मीन
ज़मीन
सपनों के परिंदे को
आसमान मिला है
आकांक्षाओं का
साथ मिला है
अपनों का
अपने के उन
सपनों का
जिनकी ज़मीन
दिल पर उकेरे
जज़्ब ज़ज़्बात है
जो ह्रदय को नरम
और आंखों को
नम कर जाते है
तड़प को और
तड़पा जाते है
और संभले हुए को
बिखर जाते है
मोतियों की टूटी माला सा
काश! कोई समझे
कोई कोई समझाए
इस तरह किसी
जियाले को।
