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MUKESH GOEL

Inspirational Others

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MUKESH GOEL

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ज़िंदगी और धर्म

ज़िंदगी और धर्म

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ज़िंदगी की जद्दोजहद में

लगे है सभी

चाहे हों हिन्दू

चाहे हों मुसलमान

चाहे हों सिक्ख

चाहे ईसाई


किसे फ़ुरसत है

बात करे धर्म की

पेट धर्म के आगे

सभी धर्म फ़ीके हैं


पेट मांगता है खाना

वो नहीं जानता कोई धर्म

पेट को भरने का

करते सभी कर्म


वो बूढ़ी अम्मा

बेचती है सब्ज़ियाँ

नाम के लिये

वो तो बाँटती है

खूब सारा प्यार

सभी में

न उसे धर्म से लेना

न उसे जाति से कुछ लेना

जो भी आता है

सब्जी के साथ पाता है

अम्मा का प्यार


वो बूढ़े अब्दुल मियां

अपनी ही तरह

बूढ़ी हो चुकी साइकिल पर

बेचने निकलते हैं

अपना पेट भरने की ख़ातिर

भरते हैं दूसरों का पेट

बेचते हैं नमकीन और ब्रेड

कोई नहीं पूछता

तुम किस धर्म के हो

तुम किस जात के हो

छोटे बड़े, बच्चे बूढ़े

सभी ख़रीदते हैं उनसे


वो पीपल के पेड़ के नीचे

बूढ़ा हो चला मोची

पीपल के पेड़ की तरह

बढ़ती उम्र उसकी

अब भी सुबह से शाम तक

पूरे दिन करता है मेहनत

कमाता है कुछ पैसे

भरने को पेट

अपना और परिवार का

जूते ठीक करवाते

किसी ने नहीं पूछा

उसकी जाति और धर्म

तुम हिन्दू हो

या तुम मुसलमान हो

लगते तो तुम

सब जैसे इंसान हो


सब की अपनी अपनी मज़बूरी है

धर्म से पहले, पेट की आग बुझानी ज़रूरी है।

पेट न कोई जाति न ही कोई धर्म जानता है

वो तो रोटी को ही तो बस मानता है

पेट हो भरा तो खुराफ़ात सूझती है

जाति और धर्म को पूछती है।


ओ दुनिया के शैतानों

तुम भी जागो और जानो

सब से पहले इंसान है

उस के बाद धर्म और ईमान है।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
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