ज़िद
ज़िद
सब कहते हैं ज़िद ना करना, ये अच्छी बात नहीं है।
मैं कहती हूँ बन जाओ ज़िद्दी, क्योंकि कामयाबी वहीं है।।
जब काटों पर चलते-चलते पावों में पड़ जाए छाले,
जब राहों पर चलते-चलते आए ना कुछ हाथ तुम्हारे।
मैं कहती हूँ बन जाओ ज़िद्दी, क्योकि कामयाबी वहीं हैं।।
जब भी देखा मैंने आस-पास ज़िद को पाया सबसे खास,
चींटी की चाल, हवाओं का हाल, सागर की लहरों,
दिन और दोपहरों ने, सबने कहा ज़िद पे हमें विश्वास है।
इसलिए कहती हूँ बन जाओ ज़िद्दी कामयाबी वहीं हैं।।
नहीं भरोसा तो अरूनिमा सिन्हा को ही देखो,
कई ट्रेनें पार कर कुचल गयी जिसके दोनों पैरों को,
वही पार कर दिखायी मुश्किल और ऊंचे एवरेस्ट को।
चलो मान भी जाओ अब तो बन जाओ ज़िद्दी
क्योंकि कामयाबी वहीं हैं।