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V. Aaradhyaa

Classics Inspirational

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V. Aaradhyaa

Classics Inspirational

ज़ब समर्पण होता है अस्तित्व का

ज़ब समर्पण होता है अस्तित्व का

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हृदय की मृदु कोमल भावनाओं में,

कदाचित कोई विराम संभव नहीं ;


जीवन के सतत व समग्र लय में,

किसी अल्पविराम का उद्भव नहीं !


सांसों का अर्ध्य स्वीकार जहाँ होता है,

वहाँ ह्रदय का बंधन एक उपहार होता है !


संवेंगों की ऊष्मा की उमग्र थरथराहट,

अतिशय प्रेम पिपासा की अकुलाहट !


जब समर्पण होता है पूरे अस्तित्व का,

वहां एहसास होता है बेहद अपनेपन का !


प्रेम सदा से अलौकिक रहा है और दुर्लभ भी,

सच्चे मन, निःस्वार्थ भाव से सहज़ सुलभ भी !


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