यूँ तो हम भी हैं
यूँ तो हम भी हैं
यूँ तो हम भी हैं पक्षधर
जीवन के
इस महामारी में जीवन बचाने
की दुनिया भर में चल रही सरकारों की तरह
क्योंकि जीवन है तो सम्भावनाएं हैं
इसलिए हम भी निर्भर हैं जीवन पर
ये बात और है कि
जिस दौर से गुजर रहे हैं हम
जीवन मायने नहीं रखता
महामारी की बात और है
फिर भी सरकारें अपने वजूद के लिये
जाने कितने जीवन
कुर्बान कर रही हैं
जब कि जीवन बचा कर भी
और सार्थक हो सकती हैं
सरकारें।
मनुष्यता विधि का आधार सम्भव है
जीवन बचाने के लिये भी
सरकार की मर्यादा बचाने के लिये भी
और देश की सीमाओं को बचाने के लिए भी
बस मनुष्यता में विश्वास भर की बात है
और आज भी हमारी भारतीयता
इसी विश्वास के साथ
मानव सभ्यता
और सरकारों के लिये
आकर्षण का केंद्र बन रही है।
