यूँ देखना तेरा
यूँ देखना तेरा
लगा कर लाल बिंदियाँ को
मैं तेरे सामने आयी
तो जैसे पलकें
तेरी
जपकना भूल जाती हैं
तेरा एक टक यूँ
देखना मुझको
और फिर देखते रहना
मुझे मग़रूर करता है
क्या ये ही प्यार है
सोचने को मजबूर करता है
की इस जहाँ में तेरे लिए
एक खास मैं ही हूँ
तेरी उलझी ज़िंदगानी की
आस मैं ही हूँ
तेरा यूँ देखना मुझको
मेरी जान लेता है
अजी तुम देखते हो यूँ की
जैसे तेरी हर परेशानी का
एक हल मैं ही हूँ
तेरा आज मैं
रोशन
कल भी मैं ही हूँ
ये फ़िक्र तक नहीं की
देखते हुए जो कोई देख ले तुमको
और जानता हो हुनर
वो आँखें पढ़ने का
ना सारे राज खुल जाएं
ना हम बदनाम बन जाएं
तेरा यूँ देखना मुझको
कहीं मसला ना बन जाये
यूँ देखते हो तुम.....!

