योग तन निरोग
योग तन निरोग


सदा रहा है जगत गुरु भारत
आगे भी संयोग यही सदा रहेगा
अलख जगाया फ़लक जगत
किया योग तन निरोग सदा रहेगा।
वात कफ पीत पीड़ित यह काया
दुख दरिद्र रोग चहु तन छाया
करे प्राणायाम क्षोभ न सदा रहेगा।
मन मस्तिष्क विचार शांति देता है
ह्रदय यकृत विकृत दूर कर देता है
नित्य योग प्राण बियोग न रहेगा।
दमा खांसी यक्ष्मा भयभीत रहे
खिले यौवन योग जरा न प्रीत रहे
जीवन सफल नियम हठयोग करेगा।
स्वस्थ शरीर समर्थ राष्ट्र निर्माण
रहे दूर दुश्मन इतिहास प्रमाण
देव ऋषि मुनि मानव योग संदेश रहेगा।
धनी भारत भूमि योग जननी है
गौरव ऋषियों नमन हमें करनी है
किया योग तन निरोग सदा रहेगा।