यह सच है..!
यह सच है..!
हाँ...!
यह सच है
मैं हर रोज़
मारती हूँ
स्वयं को
जब भागती हूँ
हर उस सच से
जिससे हमको लड़ना चाहिये.. .!
जब मैं
भागती हूँ
उस डर से
जिसका सामना डटकर
करना चाहिये.,..!
हाँ,...!
यह सच है
मैं हर रोज़
मारती हूँ स्वयं को
जब...!
नहीं कर पाती हूँ
अपनों से मुकाबला
यह जानते हुए कि
गलत हो रहा है
तब मारती हूँ
मैं स्वयं को.. .!
हाँ...!
यह सच है
मैं मारती हूँ
स्वयं को, हर रोज़
जब जब
असमर्थ होती हूँ
अपनों से लड़ने में
अन्याय के प्रति
और तब
मारती हूँ
मैं स्वयं को!
जब....
अवगत होकर भी
सत्य से,
मौन रहती हूँ
उसके प्रति..!
तब खून करती हूँ
मैं स्वयं का...!
हाँ....!
मैं हर रोज़
मारती हूँ
स्वयं को
आहिस्ता - आहिस्ता
जब जब
पाती हूँ स्वयं को....!
हाँ,...!
यह सच है
मैं हर रोज़
मारती हूँ स्वयं को
जब भागती हूँ
स्वयं का अन्वेषण करने से
और भागती हूँ उससेे
तब मैं....!!